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घंमडी (arrogant)



 

How much respect does Modi have for Dalits? This picture speaks for itself. 👇👇


In fact, Modi made a tribal woman the President by taking a heavy heart to grab the votes of Dalits and tribals, but due to his narrow mindset, he could not give the tribal woman the respect she deserved.


You can guess Modi's narrow mindset from the fact that when he inaugurated the new Parliament House, he did not invite the Dalit tribal woman President, and after that when he inaugurated the Ram Temple, he insulted her by not inviting her. Modi is an arrogant person, he does not consider anyone else as anything except himself. This feeling always resides in his mind - that I am the supreme, no other person has any status in front of me.


Rahul Gandhi has rightly said from Ramlila Maidan that Modi is hell-bent on changing the Constitution by fixing this election, if tomorrow the post of President becomes lower than that of the Prime Minister, then there should be no surprise.


 If Modi tries to change the constitution in future, then India can break into pieces like Soviet Union, which Rahul Gandhi has hinted at.


Just think, if after changing the constitution, some states refuse to accept the subordination of the center and declare themselves a separate "country" instead of a "state"? Then what kind of dire circumstances will arise? The whole country will turn into a civil war?


Modi, who has the desire of Tukde-Tukde gang, wants this only. His desire is to destroy the whole country. Modi cannot mislead the country for a long time on the issue of five kg grain and Hindutva. But the problem is also that by the time the tube light in the minds of blind devotees starts blinking, a lot will have happened by then.




हिन्दी रूपांतरण

दलितो की मोदी कितनी इज्जत करते है ?  यह तस्वीर स्वयंमेव कह रही है। 👇👇


       दरअसल, मोदी ने दलितो व आदिवासियों के वोट हड़पने के लिए एक आदिवासी महिला को कलेजे पर पत्थर रखकर राष्ट्रपति तो बना दिया, पर अपनी संकीर्ण मानसिकता के चलते वह आदिवासी महिला को, वो इज्जत प्रदान नहीं कर पाये, जिसकी वह हकदार थी।


      मोदी की संकीर्ण मानसिकता का इसी से अंदाजा लगा लीजिए, कि उन्होनें जब नये संसद भवन का उद्घाटन किया, तो उसमें भी दलित आदिवासी महिला राष्ट्रपति को नहीं बुलाया, उसके बाद जब राम मंदिर उद्घाटन किया , तो उससे भी उन्हें न बुलाकर अपमानित किया।  मोदी एक घंमडी व्यक्ति है, अपने अलावा वह किसी और को कुछ नहीं  समझता है।  उसके मन में सदैव यहीं भावना विराजमान रहती है --कि मैं ही सर्वोच्च हूं, मेरे सामने किसी दूसरे व्यक्ति की कोई औकात नहीं है। 


    राहुल गांधी ने रामलीला मैदान से ठीक कहा है, कि मोदी इस चुनाव को फिक्स करके संविधान बदलने पर आमादा है, कल यदि राष्ट्रपति का पद प्रधानमंत्री से नीचे हो जाये, तो कोई ताज्जुब नहीं होना चाहिए। 


   मोदी ने भविष्य में यदि संविधान बदलने की कोशिश की, तो भारत देश सोवियत संघ की भांति अनेक टुकड़ों में बदल सकता है, जिसका इशारा राहुल गांधी ने दे दिया है।  


   सोचिए, संविधान बदलने के बाद यदि कुछ प्रदेशों ने केन्द्र की अधीनता को ही स्वीकार करने से ही मना कर दिया, और अपने को "प्रदेश"  की जगह  एक अलग "देश" घोषित कर दिया ? तो कैसी विकट परिस्थितियां पैदा हो जायेगी ?  पूरा देश एक गृहयुद्ध में तब्दील हो जायेगा ? 


     टुकड़े-टुकड़े गैंग की इच्छा रखने वाला मोदी यहीं चाहता है।  इसकी इच्छा सम्पूर्ण देश को बर्बाद करने की है।  मोदी देश को पांच किलो अनाज व हिन्दुत्व मामले में बहुत समय तक गुमराह नहीं कर सकता ?  परन्तु दिक्कत ये भी है, कि जब तक अंधभक्तों के दिमाग की ट्यूबलाइट टिमटिमायेगी ? तब तक बहुत कुछ हो चुका होगा ।


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