The industrialists of the country Ambani and Adani are not officially in any political party. But indirectly, the poisonous language they use on their channels is perhaps more harsh than the harsh words spoken by any leader.
Actually, the BJP government is a government formed purely by big and high royal families, Modi is just a mask, the real government is running under the direction of these industrialists.
Now, no big industrialist would want that the weak and poor sections of the country should get a big part of the total income of the country. This is the reason that today the condition of the backward, Dalits and poor of the country is worse than worse.
Recently, Rahul Gandhi had given a big statement, which created a stir in the entire business world. He said that whenever my government comes, it will spend the same amount of money on the poor and the weaker sections as Modi is distributing to the industrialists. Till date, the industrialists have moved ahead by exploiting the poor. Since then, a large group of industrialists is working very hard to bring Modi to power for the third time.
Now the industrialists are trying to fulfill their interests by using all means, is this their compulsion? But when will the public understand their interests? When the Modi government is completely of the industrialists, then what is the public going to achieve by bringing Modi to power again and again?
Actually, this political battle is between the industrialists and the weaker sections, in which the industrialists have been winning till date, now if the Congress is showing signs of change in its approach, then the public should capitalize on it. Every time you have become a puppet of the industrialists, so why not vote for yourself this time?
हिन्दी रूपांतरण
देश के उघोगपति अंबानी व अडानी घोषित रूप से किसी राजनैतिक दल में नहीं है ? परन्तु अप्रत्यक्ष-वे में वो अपने चैनलों पर जहरीली भाषा का जो प्रयोग करवाते है, वो शायद किसी नेता के कहे कटु शब्दों से ज्यादा होता होगा।
दरअसल, बीजेपी सरकार विशुद्ध बड़े व उच्च राजघरानों से निर्मित सरकार है, मोदी तो सिर्फ मुखौटा है, असली सरकार इन्हीं उघोगपति के डायरेक्शन में चल रही है।
अब कोई बड़ा उघोगपति यह तो चाहेगा नहीं, कि देश के कमजोर व गरीब तबके को देश की कुल आय का एक बड़ा भाग मिले ? यहीं कारण है, कि आज देश के पिछड़ो, दलितों, गरीबों की दशा बद से बद्तर है।
अभी हाल ही में राहुल गांधी ने एक बड़ा वयान दिया था, जिसे सुनकर पूरे कारोबारी जगत में अंदर तक हड़कंप मच गया। उन्होंने कहा कि मोदी जितना रुपया उघोगपतियों को बांट रहे है, मेरी सरकार जब भी आयेगी, तो वह उतना ही रुपया गरीबों व कमजोर वर्ग पर खर्च करेगें ? उघोगपति तो आज तक गरीबों को शोषित करके ही आगे बढ़ते आये है।
बस तब से उघोगपतियों का एक बड़ा समुदाय जी तोड़ मेहनत कर मोदी को तीसरी बार सरकार लाने के लिए प्रयासरत है।
अब उघोगपति तो साम-दाम-दंड-भेद करके अपना हित साध रहे है, यह उनकी मजबूरी है ? पर जनता अपना हित कब समझेगी ? जब मोदी सरकार पूरी तरह से उघोगपतियों की है, तो मोदी को बार-बार सत्ता में लाकर जनता को क्या हासिल होने वाला है ?
दरअसल ये राजनैतिक लड़ाई उघोगपतियों व कमजोर वर्ग के बीच की है, जिसमें जीत आज तक उघोगपतियों की होती आयी है, अब यदि कांग्रेस अपने दृष्टिकोण में बदलाव के संकेत दे रही है, तो जनता को इसे भुनाना चाहिए। हर बार उघोगपतियों की कठपुतली बनते आये हो, तो क्यों न इस बार अपने लिए वोट किया जाये ?
No comments:
Post a Comment