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आर-पार का संघर्ष (a fight to the finish)


 For the public, the 2024 Lok Sabha elections may be like a normal election, but for the ruling party and the opposition, it is a battle for survival.


Mallikarjun Kharge is not saying from the open stage for nothing that this is a battle for democracy, which the opposition will have to win at all costs. Now the public will decide the victory or defeat, but playing on the election pitch that Modi has prepared in the last ten years is going to prove to be the last battle.


For some time now, the way Modi has harassed the opposition and industrialists by misusing ED, CBI, IT etc. institutions, both are troubled by it. It has now become a compulsion for industrialists to act according to Modi, Modi has laid such a trap of his government institutions that even without wanting, big industrialists have been trapped in Modi's recovery trap. They are fluttering, but are unable to get out. Some industrialists have also made a deal with Modi for business in exchange for donations.  Unfortunately, all of them have been highlighted due to the disclosure of electoral bonds.


The opposition knows very well that if they lose the 2024 elections, then the next journey is to jail, Modi will get them jailed on any false accusation by hook or crook.


Similarly, Modi also knows very well that if the public does not support him in 2024, then many BJP leaders along with big industrialists will be sent to jail for who knows how many years, which cannot even be imagined. This includes Modi himself and Amit Shah. This crisis can also deepen for BJP, that if Congress comes to power, then the existence of both BJP and RSS can be in danger this time. Because Congress also knows very well that if they miss this time, then this mistake will cost them forever.



हिन्दी रूपांतरण


जनता के लिए 2024 लोकसभा चुनाव एक आम चुनाव की तरह हो सकते है, पर सत्ता पक्ष व विपक्ष के लिए यह अस्तित्व की लड़ाई है। 


      मल्लिकार्जुन खड़गे खुले मंच से यों ही नहीं कह रहे, कि ये लोकतंत्र की लड़ाई है, जिसे विपक्ष को हर हाल में जीतना होगा।  अब जीत-हार तो जनता ही तय करने वाली है, पर पिछले दस वर्षों में मोदी ने जो चुनावी पिच तैयार की है, उस पर खेलना अंतिम जंग साबित होने वाला है। 


      पिछले कुछ समय से मोदी ने जिस तरह ED, CBI, IT आदि संस्थाओं का दुरुपयोग कर विपक्ष व उघोगपतियों को परेशान किया है, उससे दोनों परेशान है।  उघोगपतियों को मोदी के अनुसार चलना अब मजबूरी हो चला है, मोदी ने अपनी सरकारी संस्थाओं का ऐसा जाल बिछा दिया है, कि न चाहते हुए भी बड़े-बड़े उघोगपति मोदी के वसूली जाल में फंस चुके है।  वो फड़फड़ा तो रहे है, पर निकल नहीं पा रहे है।  कुछ उघोगपतियों  ने चंदे के बदले धंधे का भी सौदा मोदी से किया हुआ है।  दुर्भाग्य से इलेक्टोरल बांड के खुलासे के कारण वह सभी हाईलाइट हो चुके है। 


     विपक्ष को यह भली-भांति मालूम है कि यदि 2024 का चुनाव हारे, तो आगे की यात्रा जेल है, मोदी येन-केन करके किसी भी झूठे इल्जाम में जेल करा ही देगा। 

     इसी प्रकार मोदी को भी भली-भांति मालूम है, कि यदि 2024 में जनता ने उसका साथ नहीं दिया, तो बड़े-बड़े उघोगपतियों के साथ-साथ बीजेपी के कई नेता न जाने कितने वर्षों के लिए जेल में धकेल दिये जायेगें, जिसका अंदाजा भी नहीं किया जा सकता।  इसमें स्वयं मोदी व अमित शाह भी शामिल है।  बीजेपी के लिए यह भी संकट गहरा सकता है, कि कांग्रेस यदि सत्ता में आई, तो बीजेपी व आर. आर. एस. दोनों का अस्तित्व इस बार खतरे में पड़ सकता है।  क्योंकि कांग्रेस को भी भली-भांति मालूम है, कि इस बार चूके, तो यह चूक हमेशा के लिए भारी पड़ेगी।

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