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लोकतंत्र के नाम पर राजतंत्र (Monarchy in the name of democracy)


 Congress kept roaming from door to door in the offices of print media to get this advertisement printed by paying money, but no big newspaper dared to print it.


Now from this, we can guess how much the demonic powers have spread in the country. Today, the print media is not ready to print even the news that makes the public aware.


Did the countrymen wish for such a democratic government? Modi is enjoying the pleasures of "monarchy" in the name of "democracy" by beating his chest and showing the middle finger to the public. The "blind devotees" who are immersed in Hindu happiness, they too are going to get kicked, but by the time their tube light flickers, the country will have gone into a deep pit of darkness. The blind devotees who are walking around with their chest puffed up on the strength of five kilos of ration, this too will be removed later, in the end Modi is going to end this burden and give its benefits to his industrialist friends.  For those who are unable to understand the definition of democracy even after seeing all this, I would like to say to them that they should observe the working style of the previous governments and the Modi government, they will find the answer themselves.



हिन्दी रुपांतरण


इस विज्ञापन को पेसे देकर छपवाने के लिए कांग्रेस प्रिंट मीडिया के कार्यालयों में दर-दर भटकती रही, पर किसी भी बड़े अखवार ने इसे छापने की हिम्मत न दिखाई।

     अब इसी से ही अनुमान लगा लें, कि देश में असुरी शक्तियों का कितना विस्तार हो चुका है। आज जनता को जागरूक करने वाली खबर को भी प्रिंट मीडिया छापने को तैयार नहीं है। 

    क्या देशवासियों ने ऐसी ही लोकतंत्र सरकार की कामना की थी ?  मोदी छाती ठोकर जनता को ठेंगा दिखाकर "लोकतंत्र"  के नाम पर " राजतंत्र"  का मजा लूट रहे है। जो "अंधभक्त"  हिन्दू सुख में डूबे हुए है, लात उनको भी पड़ने वाली है, पर जब तक उनकी ट्यूबलाइट टिमटिमायेगी, तब तक देश गहरे अंधेरे की गर्त में जा चुका होगा। जो अंधभक्त पांच किलो राशन के दम पर सीना फुलाये घूम रहे है, बाद में यह भी हटाया जायेगा, आखिर में मोदी ये भार खत्म कर इसका लाभ भी अपने उघोगपति मित्रों को देने वाले है। जो लोग इतना सभी देखकर भी लोकतंत्र की परिभाषा को नहीं समझ पा रहे है, तो उनके लिए मैं यहीं कहना चाहूंगा, कि वो पिछली सरकारों व मोदी सरकार की कार्यशैली का अवलोकन करें, उन्हें स्वयं इसका उत्तर मिल जायेगा।

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