Finally, SBI Bank has come to bat on behalf of Modi for electoral bonds. He has sought time till June 30 from the Supreme Court in this regard. That means, during that time the elections are over, and the matter is calm.
Ever since the issue of electoral bonds came up in the Supreme Court, and everyone's names have been asked to be made public, Modi's "spit" has been stuck, neither being able to spit out, nor being able to come out? As soon as this becomes public, the picture of dishonesty of honest Modi is going to emerge, Modi is very scared of it.
Once the names are made public, it will also be known as to how much money Modi collected from which person since 2019, and what reward was given in return? Along with this, Hindenburg's report will also be confirmed that through which fake shell companies did Adani benefit Modi and his companies? This difference can also be revealed, whether the companies giving donations and those giving benefits to their own companies are not the same? Or are they not in collusion with each other?
The ball is now in the court of the Supreme Court, how much does it believe in this absurd statement of SBI? Even a common man knows that it will hardly take 5-7 days for SBI to make the Electrol Bond public? But since SBI has met Modi, it is able to dare to say such childish things even to the Supreme Court.
Where all the institutions have bowed down before Modi, Modi has ruined democracy, now the last resort of the public is the Supreme Court, which is proving the government and Modi wrong again and again, and the common man is Man can also see a light ray of survival of democracy. If indeed the Supreme Court does not allow that ray to sink, then Modi and Company are going to be exposed, which will strengthen Pappu Yadav's statement that Modi will also leave this country one day like other Modis? Because if he stays here, he is going to spend his entire life in jail.
Modi has looted the country a lot in the last ten years, and has given huge benefits to his favorite industrialists. Unfortunately, the “blind devotees” of the country are not able to understand this. By the time we understand, the bird will have fled, and today's blind devotees will be wringing their hands.
हिन्दी रुपांतरण
आखिरकार इलेक्टोरल बांड के लिए SBI बैंक मोदी की तरफ से बैटिंग करने आ ही गया। उसने सुप्रीम कोर्ट से इस बाबत 30 जून तक का समय मांगा है। यानी उस दरम्यान चुनाव खत्म, और मामला शांत।
इलेक्टोरल बांड का मामला सुप्रीमकोर्ट में जब से आया है, और सभी के नाम सार्वजनिक करने को कहा गया है, तब से मोदी का "थूक" अटका हुआ पड़ा है, न उगल पा रहे है, और न निकल पा रहे है ? इसके सार्वजनिक होते ही ईमानदार मोदी की जो बेईमानी की तस्वीर आने वाली है, मोदी उससे बेहद डरे हुए है।
नामों के सार्वजनिक होने पर यह भी पता चल जायेगा, कि मोदी ने 2019 से किस व्यक्ति से कितनी वसूली की, और उसके बदले में क्या इनाम दिया ? साथ ही हिंडनवर्ग की रिपोर्ट पर भी मोहर लगेगी, कि अडानी ने किस फर्जी शैल कंपनियों द्वारा मोदी को व अपनी कंपनियों को लाभ पहुंचाया था ? यह भी पभेद खुल सकता है, कि चंदा देने वाली और खुद की कंपनियों को लाभ पहुंचाने वाली कंपनियां एक ही तो नहीं ? या उनकी आपस में मिली भगत तो नहीं ?
गेंद अब सुप्रीम कोर्ट के पाले में है, कि वह SBI की इस बेतुकी बात पर कितना यकीन करता है ? एक आम इंसान भी जानता है, कि SBI के लिए इलेक्ट्रोल बांड को सार्वजनिक करने में मुश्किल से 5-7 दिन का वक्त लगेगा ? परन्तु चूंकि SBI मोदी से मिल चुका है, इसलिए इस तरह की बचकानी बात सुप्रीमकोर्ट तक से करने की हिम्मत कर पा रहा है।
जहां सारी संस्थाएं मोदी के आगे नतमस्तक हो चुकी है, मोदी ने लोकतंत्र को तार-तार कर रखा है, वहां अब जनता का आखिरी सहारा सुप्रीमकोर्ट ही बचा है, जो सरकार व मोदी को बार-बार गलत साबित करता जा रहा है, और आम इंसान को भी एक हल्की किरण लोकतंत्र बचने की दिख रही है। यदि वाकई में सुप्रीम कोर्ट उस किरण को नहीं डूबने देता है, तो मोदी एंड कंपनी का वो पर्दाफाश होने वाला है, जिससे पप्पू यादव के उस वक्तव्य को बल मिलता है, कि मोदी भी अन्य मोदी की तरह इस देश को छोड़कर एक दिन भागेगा ? क्योंकि यहां रहा, तो उसका पूरा जीवन जेल में ही कटने वाला है।
मोदी ने देश को पिछले दस वर्षों में जमकर लूटा है, और अपने चहेते उघोगपतियों को जमकर फायदा कराया है। दुर्भाग्य से यह बात देश के "अंधभक्त" नहीं समझ पा रहे है। जब तक समझेगें, तब तक चिड़िया फुर्र हो चुकी होगी, और आज के अंधभक्त हाथ मल रहे होगें।
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