Amitabh Bachchan's movie "Deewar" was released, in which a don used to collect weekly payments from labourers. When Amitabh Bachchan beat up that don, there was applause on screen. That don got the result of his deeds.
When times changed, the faces of dons also changed. Now dons do not keep boxes in the middle of the market for collection. Rather they work in phases. First of all, they grab political power by giving various temptations to the public like five kilos of ration, cheap petrol, diesel and gas cylinders. After that, their real game starts through ED, CBI, IT. Those people who even today associate this action with patriotism, call them "Blind Bhakt" on Facebook, Tutor etc.
In the facts that have come to light, Modi is seen playing the role of the real don. The way Modi has done business in exchange for donations is now in front of everyone.
It has also been revealed in the electoral bonds that the companies on which Modi took action by ED, CBI, IT, the same companies bought bonds worth crores of rupees for BJP. In return, they got many projects from Modi government, which increased their income unexpectedly. Many anonymous companies have also come to light, which are probably shell companies, if their strings are found to be connected to Adani, it will not be surprising. Hindon Varg has also pointed towards this. After all, why would anonymous companies donate crores to BJP?
In principle, this revelation should have led to Modi's resignation, but when did Modi follow the rules? Why will he resign? By giving the false hope of bringing back black money to the public, he himself has earned illegal donations of more than six and a half lakh crores.
Now don't clench your fists after seeing the small dons of the films? The real dons are sitting in the government, who fool the public every day by enjoying the public's money.
हिन्दी रुपांतरण
अमिताभ बच्चन की एक फिल्म "दीवार" आई थी, जिसमें एक डान मजदूरों से हफ्ता वसूला करता था। अमिताभ बच्चन ने जब उस डान की पिटाई लगाई थी, तो पर्दे पर तालियां पीटी गई। उस डान को अपनी करनी का फल मिला।
समय बदला, तो डान के चेहरे भी बदल गये। अब डान वसूली के लिए बीच बाजार में डब्बा नहीं रखते ? बल्कि चरणबद्ध कार्य करते है ? सर्वप्रथम तो वह जनता को पांच किलो राशन, पैट्रोल डीजल व गैस सिलेंडर सस्ता जैसे विभिन्न प्रलोभन देकर राजनैतिक सत्ता हथियाते है। उसके बाद शुरू होता है, ED, CBI, IT द्वारा उनका असली खेल ? जो व्यक्ति आज भी इस कार्यवाही को देशभक्ति से जोड़कर देखते है, उन्हें फेसबुक, ट्यूटर आदि पर "अंधभक्त" नाम से पुकारते है।
जो तथ्य सामने आये है, उसमें मोदी ही असली डान के किरदार में नजर आ रहे है। मोदी ने जिस तरह से चंदे के बदले धंधे का कारोबार किया है, वह अब सभी के सामने है।
इलेक्टोरल बांड में यह भी खुलासा हुआ है, कि जिन कंपनियों पर मोदी ने ED, CBI, IT की कार्यवाही की, उन्हीं कंपनियों द्वारा बीजेपी के लिए करोड़ो रुपए के बांड खरीदे गये। बदले में मोदी सरकार द्वारा ने उन्हें कई प्रोजेक्ट भी मिले, जिससे उनकी आमदनी में अप्रत्याशित वृद्धि हुई। कई गुमनाम कंपनियां भी सामने आई है, जो संभवतः शैल कंपनियां ही होगी, जिसके तार अडानी से जुड़े मिल जाये, तो ताज्जुब न होगा। हिंडन वर्ग भी इसी ओर इशारा कर चुका है। आखिर गुमनाम कंपनियां करोड़ों का चंदा बीजेपी को क्यों देगी ?
कायदे से इस खुलासे से मोदी का इस्तीफा आ जाना चाहिए था, परन्तु मोदी कायदे में चले कब थे ? जो इस्तीफा देगें ? जनता को काला धन लाने का झांसा देकर खुद लगभग साढ़े छः लाख करोड़ से ऊपर की चंदे की अवैध कमाई करवा चुके है।
अब फिल्मों के छुटभैय्ए डान को देखकर अपनी मुठ्ठियां न भींचे ? असली डान तो सरकार में बैठें है, जो जनता के पैसों से मौज कर हर रोज जनता को ही बेवकूफ बनाते है।
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