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बिखरता इंडिया (disintegrating india)



 


First, rumors of Nitish Kumar and now RLD's Jayant joining BJP have started.



 Why are people from India Ghatak joining BJP?  Are all people afraid of ED, CBI institutions?  Has everyone done something wrong?  So the answer is no.  The matter is something else also.



 In today's time, politics has become an expensive profession.  Only he who knows how to fund the party can do this.  Party funding will happen only when the stature and level of the party is big.  The person doing the funding should also benefit from it in the future, otherwise why would he make big funding unnecessarily?  At present, politics has become completely post-market, the one who gives today will get more in return tomorrow.



 Presently lakhs and crores of rupees are required to establish even a small party, so imagine how much money is required for a state and national level party?


     This is where Modi is attacking political parties.  Even if the parties are not involved in corruption, they still need party funding, right?  To prevent opposition parties from getting funding, Modi has left an institution like "ED" to file "money laundering" cases, so how can there be party funding?  In such a situation, small opposition parties are left with only one option, to bow down before the Modi government.  By doing this, they will continue to get funding and the possibility of getting a position will also remain separate.



 Modi is giving double blow to the opposition by being in power.  Firstly, he himself is strengthening his party by taking more and more funding, and on the other hand, he is not allowing the funding of opposition parties by showing the fear of ED.  This is the reason why today the country's oldest party, Congress, has to sell "T-shirts" for party funding.



 On one hand, 80 crore poor people of India are dependent on five kilos of food grains, they are struggling with inflation and employment, on the other hand BJP is opening “Seven Star” offices at various places on the basis of funding.  Now are good days going on for the people who buy five kilos of food grains or for Modi and BJP?  It can be easily guessed.



 At present Congress neither has the money nor any post to stop the people leaving the party?  If there is something to be done, it is just hard work.  Now in such a situation, only a person who is hardworking and without greed can survive in the Congress Party.  Only opportunistic people who avoid hard work are enhancing the glory of BJP today.  If Congress gains the upper hand tomorrow, these same people will be desperate to come here.  Perhaps this is the ultimate truth of today's double standards politics.




हिन्दी रुपांतरण


पहले नितीश कुमार और अब RLD के जयंत के बीजेपी में जाने की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है। 



          क्यों जा रहे है इंडिया घटक के लोग बीजेपी में ?  क्या सारे के सारे लोग ईडी, सीबीआई संस्थाओं से डरे हुए है ?  क्या सभी ने कुछ न कुछ गलत किया हुआ है ?   तो जबाव है, कि नहीं ।  मामला कुछ और भी है।  



      आज के समय में राजनीति एक मंहगा पेशा बन चुकी है।  इसे वो ही कर सकता है, जिसे पार्टी के लिए फंडिंग करना आता हो।  पार्टी फंडिंग तभी होगी, जब पार्टी का कद व स्तर बड़ा हो।  फंडिंग करने वाले का भी भविष्य में उससे लाभ हो, अन्यथा वो बेवजह क्यों बड़ी फंडिंग करेगा ?  वर्तमान में राजनीति पूर्णतः बाजार बाद हो चली है, जो आज दे रहा है, वो कल बदले में उससे ज्यादा लेगा। 



       एक छोटी सी पार्टी को भी स्थापित करने के लिए वर्तमान में लाखों-करोड़ों की जरूरत पड़ने लगी है, तो सोचिए, प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर वाली पार्टी के लिए कितना अथाह पैसा चाहिए ?  


     बस मोदी राजनैतिक पार्टियों पर यहीं चोट कर रहे है।  जो पार्टियां भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं भी है,  फिर भी उन्हें पार्टी फंडिंग तो चाहिए न ?  विपक्षी दलों की फंडिंग न हो सके,  इसके लिए मोदी ने  "ईडी"  जैसी संस्था  "मनी लांड्रिंग"  के केस लगाने के लिए छोड़ रखी है, तो भला पार्टी फंडिंग कैसे हो ?  ऐसे में छोटे विपक्षी दलों के पास एक ही विकल्प रह गया है,  कि वह मोदी सरकार  के सामने नतमस्तक हो जाये।  ऐसा करके उन्हें फंडिंग भी मिलती रहेगी, और कोई पद मिलने की सम्भावना भी अलग से बनी रहेगी।  



       मोदी सत्ता में रहकर विपक्ष को दोहरी चोट पहुंचा रहे है।   पहला वह खुद तो अधिक से अधिक फंडिंग लेकर अपनी पार्टी को मजबूत बना रहे हे, और वहीं  दूसरी तरफ विपक्षी दलों की फंडिंग ईडी का खौफ दिखाकर होने नहीं दे रहे।  यहीं कारण है, कि आज देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को पार्टी फंडिंग के लिए  "टी-शर्ट"   बेचना पड़ रहा है,  



     एक तरफ भारत की अस्सी करोड़ गरीब जनता पांच किलो अनाज पर निर्भर है, वो मंहगाई व रोजगार से छटपटा रही है,  वहीं दूसरी तरफ बीजेपी फंडिंग के दम पर अपने जगह-जगह  "सेविन स्टार"  दफ्तर खोलती जा रही है।  अब अच्छे दिन पांच किलो अनाज लेने वाली जनता के चल रहे है या मोदी व बीजेपी के ?  सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। 



       वर्तमान में कांग्रेस के पास, पार्टी छोड़कर जाने वाले व्यक्तियों को रोकने के लिए न तो रूपया है, और न ही कोई पद ?   यदि कुछ करने के लिए है, तो बस मेहनत है।  अब ऐसी अवस्था में मेहनती व बिना लोभ लालच वाला व्यक्ति ही कांग्रेस पार्टी में टिक सकता है। मेहनत से बचने वाले अवसरवादी व्यक्ति ही आज बीजेपी की शोभा बढ़ा रहे है।  कल यदि कांग्रेस का पलड़ा भारी होगा, तो यही लोग इधर आने के लिए छटपटायेगें।  शायद यहीं आज की दोगली राजनीति का अंतिम सत्य है।  



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