The new face of Modi that has been seen recently is undoubtedly that of an anti-Sanatan Hindu.
Due to Modi's political ambitions and haste to inaugurate the event, he has disregarded the four Shankaracharyas, which is undoubtedly wrong.
The coming times are going to be extremely unbearable for the four Shankaracharyas, because they have been insulted publicly by the Prime Minister of India. The message that Prime Minister Modi has given to the public will surely dominate the minds of the common people? Seeing this, they would also like to see themselves becoming proud by following the guidance of Modi.
Now, there is no need to say how much importance the common people will give to these so-called Shankaracharyas in the future. Therefore, now along with the fight to protect Sanatan Dharma, these religious leaders will also have to fight for their survival with Modi?
Because the public is assuming that “Modi is the leader”, “Modi is the religious leader”, and “Modi is the supreme Shankaracharya”.
हिन्दी रुपांतरण
अभी हाल ही में मोदी का जो नया चेहरा देखने को मिला है, वह निःसंदेह सनातन हिन्दू विरोधी का है।
मोदी की राजनैतिक महत्वाकांक्षा व उद्घाटन के उतावलेपन के चलते उन्होंने जो चारों शंकराचार्यों की अवहेवना की है, वो निःसंदेह गलत है।
आने वाला समय चारों शंकराचार्यों के लिए बेहद असहनीय रहने वाला है, क्योंकि उनका अपमान भारत के प्रधानमंत्री द्वारा सार्वजनिक रूप से किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने जनता के सामने जो संदेश दिया है, वो आम जन मानस के दिमाग में जरुर हावी होगा ? जिसे देखकर वो भी मोदी के मार्गदर्शन पर चलकर अपने को गौरवान्वित होते देखना चाहेगें।
अब आम जनमानस इन तथाकथित शंकराचार्यों को आगे कितना महत्व देगा, यह कहने की जरूरत नहीं है। अतः अब इन धर्माचार्यों को सनातन धर्म की रक्षा की लड़ाई के साथ-साथ मोदी से अपने अस्तित्व की लड़ाई भी लड़नी पड़ेगी ?
क्योंकि जनता मानकर बैठी है कि "मोदी ही नेता है", "मोदी ही धर्माचार्य है", और "मोदी ही सर्वोच्च शंकराचार्य" है।
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