#Moral fall
Rajya Sabha voting in the country proved that Modi has all the policies of "Sam-Daam-Dand-Bheed" to get power. But Modi has completely morally fallen.
Modi has taken the current politics to its lowest level ever. Modi is no longer hesitating to stoop to any extent to gain power. The recent Chandigarh elections are a living proof of this?
Now, would it be wrong to say that Modi is playing this whole game alone? When gifts of crores and billions of rupees are being given to buy MPs and MLAs, their favorite business friends will surely also be involved behind the scenes? Otherwise, how will the Prime Minister, who gets the facility of a few lakhs per month, be able to carry out transactions worth crores and billions of rupees? This is the reason why MPs and MLAs of opposition parties are being bought at any cost today.
Now this question is also arising for the common people, if they vote for the opposition, then on what basis should they vote? It is becoming difficult to say when the leaders who call themselves patriots will defy the public vote and sit down to be weighed. It has to be said that today Modi and his business friends have really taken democracy to its lowest ebb with the help of money and power.
Opposition parties have publicly expressed their concern on this issue that if Modi comes to power again in 2024, democracy will hardly survive? Looking at the current circumstances his statement is not misleading.
Is there still a ray of hope left to save democracy? The key of which is in the hands of the countrymen. If we really love our country, and want to stop all this, then the people of India will have to reverse the belief of Modi and his business friends and let the opposition win with a huge majority in the 2024 elections?
Once the system changes at the Centre? So won't it take time to change the state? Just keep your spirits high in 2024 on this basis.
हिन्दी रुपांतरण
देश में राज्यसभा वोटिंग से यह सिद्ध हुआ, कि मोदी के पास सत्ता पाने के लिए "साम-दाम-दंड-भेद" की सभी नीतियां तो है। परन्तु मोदी का पूर्णतः नैतिक पतन हो चुका है।
वर्तमान राजनीति को मोदी ने अब तक के सबसे निचले स्तर तक पहुंचा दिया है। सत्ता पाने के लिए मोदी अब किसी भी हद तक गिरने से हिचक नहीं रहे है। हाल ही में चंडीगढ़ चुनाव इसका जीता-जागता सबूत है ?
अब यह सारा खेल अकेले मोदी खेल रहे है, यह कहना गलत होगा ? सांसद-विधायक खरीदने के लिए जो करोड़ों-अरबों रुपयों की सौगात दी जा रही है, पर्दे के पीछे उनके चहेते कारोबारी मित्र भी अवश्य शामिल होगे ? अन्यथा कुछ लाख महीनें की सहूलियत पाने वाला प्रधानमंत्री करोड़ों-अरबों रुपयों का लेन-देन भला कैसे कर सकेगा ? यहीं कारण है, कि विपक्षी दलों के सांसदों व विधायकों को आज किसी भी कीमत पर खरीदा जा रहा है।
आम जनमानस के लिए भी अब यह प्रश्न खड़ा होता जा रहा है, कि वो विपक्ष को वोट करें, तो किस विश्वास पर करें ? अपने को देशभक्त कहने वाले नेता कब जनता के वोट को ठेंगा दिखाकर तराजू में तुलने को बैठ जाये, यह कहना भी मुश्किल होता जा रहा है। कहना पड़ेगा, कि सचमुच आज मोदी व उनके कारोबारी मित्रों ने धन व बल से लोकतंत्र को गर्त में पहुंचा दिया है।
इस विषय पर विपक्षी दलों ने अपनी चिंता सार्वजनिक रूप से जाहिर की है, कि अगर मोदी 2024 को पुनः सत्ता में आये, तो लोकतंत्र शायद ही बचेगा ? वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए उनका यह कहना भ्रामक नहीं है।
लोकतंत्र को बचाने के लिए अभी भी उम्मीद की एक किरण बाकी है ? जिसकी चाबी देशवासियों के हाथों में है। यदि हम सचमुच अपने देश से प्यार करते है, और यह सभी कुछ रोकना चाहते है, तो भारत की जनता को मोदी व उनके कारोबारी मित्रों के विश्वास के पलट विपक्ष को 2024 के चुनावों में भारी बहुमत से जिताना होगा ?
जब एक बार केन्द्र में व्यवस्था बदल जायेगी ? तो स्टेट में बदलते देर न लगेगी ? बस 2024 में अपने हौंसले को इसी आधार पर बुलंद करके रखें ।
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