Modi has created so much mess in the whole world to make Adani the "number one rich" that now it is becoming difficult to gather him with both hands.
In America, before making any allegation, the case is sent to 16 to 21 members for trial, charge sheet is not made only on the FBI's request. Permission to prosecute the case is given only after a thorough investigation.
It doesn't happen there like in India, that the police catch a chicken thief and present him directly in the court.
Adani has been investigated by the entire American agency, and the facts were found that Adani is a dishonest and scammer, who has committed this entire dishonesty by involving his family members and other people.
In America, an arrest warrant simply means that the charges have almost been framed against the accused, now there is not even the slightest possibility of escape. Yet, to keep justice alive, he is given one last chance to formally present his case.
The punishment is also not small as per the standards. If Adani is caught in all the cases, which is quite likely, then 20+20+5 = 45 years of punishment will be decided. And the fine will be so high that it is doubtful whether the company concerned will even be able to survive.
Adani's money being caught means Modi being exposed. Modi has misused his position to the fullest till now. Was there no other industrialist in India who could be promoted by getting him business abroad?
There were undoubtedly, but they do not benefit Modi. Industrialists like Adani have a huge contribution in the bumper victory of BJP in Maharashtra recently.
Since Prime Minister Modi himself took personal interest in getting business from abroad, the needle of every suspicion will definitely be Modi. Everyone has come to know that there is not just smoke here, but fire as well.
It is also being said about Adani that he is thinking of shifting to Switzerland, and is gradually transferring all his money abroad.
If this happens, then it will be difficult to even estimate how much loss Adani is going to cause by cheating the country. When many billions and trillions of rupees will go out of India, the shock will definitely be very big.
God forbid, if Adani conspired to flee from India like Vijay Mallya, Lalit Modi, Nirav Modi etc., then it would be better not to ask what will happen to many government banks of India and LIC invested in Adani's shares.
All this will happen because Modi has personal relations with Adani, obviously, these relations will be of money only. And the money would also have been earned through corruption. Which has been confirmed by Congress leader Rahul Gandhi.
When Modi is so harmful for the country, then why are the people of the country ignoring these things and voting?
Are elections no longer fair? Are people forced to compromise with corruption? Are people so obsessed with Hindu-Muslim that they are not able to think properly about their good and bad? Or have the people started compromising, accepting this as their destiny?
The reasons could be anything, but it can be easily guessed that the destruction of the country under the leadership of Modi-Shah and Adani is almost certain.
When the people are not able to think about their good and bad, then whatever happens in the end, the blame will not fall on Modi-Shah and Adani, but on the people.
हिन्दी रुपांतरण
मोदी ने अडानी को "नम्बर वन रहीस" बनाने के लिए पूरे विश्व में इतना रायता फैला दिया है, कि अब उन्हें दोनों हाथों से समेटना भी भारी पड़ रहा है।
अमेरिका में कोई भी अभियोग लगाने से पहले उस केस को चलाने के लिए 16 से 21 सदस्यों के पास भेजा जाता है, सिर्फ एफबीआई के कहने मात्र से चार्ज शीट नहीं बनाई जाती ? उसकी पूरी पड़ताल के बाद ही केस को चलाने की अनुमति मिलती है।
वहां भारत की तरह नहीं होता है, कि पुलिस ने मुर्गी चोर को पकड़ा, और सीधे कोर्ट में पेश कर दिया।
अडानी पर पूरी अमेरिकी एजेंसी द्वारा जांच की गई है, और यह तथ्य पाये गये, कि अडानी एक बेईमान व घोटालेबाज व्यक्ति है, जिसने अपने परिवार के सदस्य व अन्य लोगों को शामिल करके यह पूरी बेईमानी कारित की है।
अमेरिका में अरेस्ट वारंट का सीधा सा मतलब है, कि आरोपी पर लगभग आरोप तय हो चुके है, अब बचने की किंचित मात्र भी सम्भावना नहीं बची है। फिर भी न्याय को जिंदा रखने के लिए उसे औपचारिक रूप से अपना पक्ष रखने के लिए आखिरी मौका दिया जाता है।
अब यह तो तय है, कि जब केस अमेरिकी न्याय व्यवस्था में पहुंच चुका है, तो वहां की सरकार द्वारा देर-सवेर अडानी व अन्य दोषियों को पकड़ा अवश्य जायेगा।
सजा भी वहां के हिसाब से थोड़ी बहुत नहीं है, यदि अडानी सभी केस में नप गये, जिसकी कि पूरी सम्भावना है, तो 20+20+5 = 45 साल की सजा मुकर्रर की जायेगी। और जुर्माना इतना वसूला जायेगा, कि उक्त संबंधित कंपनी का अस्तित्व बचा भी रह पायेगा, इसमें भी संदेह है।
अडानी का पैसा पकड़ा जाना, यानी मोदी का एक्सपोज होना है। मोदी ने अभी तक अपने पद का भरपूर दुरुपयोग किया है। क्या भारत में और कोई उघोगपति नहीं था, जिसे विदेशों में कारोबार दिलवाकर आगे बढ़ाया जा सकता ?
निःसंदेह थे, पर वो मोदी को लाभ नहीं देते। अभी हाल ही में जो महाराष्ट्र में बीजेपी की बंपर जीत हुई है, उसमें अडानी जैसे उघोगपतियों का बहुत बड़ा योगदान है।
चूंकि विदेशों से कारोबार दिलवाने में प्रधानमंत्री मोदी स्वयं व्यक्तिगत इंटरेस्ट लेते थे, तो हर शक की सुई का केन्द्र मोदी तो अवश्य रहेगें। सभी को मालूम चल चुका है, कि यहां खाली धुंआ ही नहीं है, बल्कि आग भी है।
अडानी के बारे में यह भी कहा जा रहा है, कि वो वो स्विट्जरलैंड में शिफ्ट होने की सोच रहा हे, और धीरे-धीरे अपना सारा रुपया विदेशों में ट्रांसफर करता जा रहा है।
यदि ऐसा होता है, तो अडानी देश को धोखा देकर कितनी बड़ी हानि पहुंचाने वाला है, इसका अनुमान भी लगाना कठिन होगा। जब कई अरबों-खरबों रुपया भारत से बाहर जायेग, तो झटका तो बहुत बड़ा अवश्य लगेगा।
भगवान न करें, यदि अडानी ने विजय माल्या, ललित मोदी, नीरव मोदी आदि की तरह भारत से भागने का षड़यंत्र किया, तो भारत की कई सरकारी बैंकों व अडानी के शेयरों में इंवेस्टड LIC
का क्या हाल होगा, ये न ही पूछे, तो बेहतर रहेगा।
यह सब इसलिए होगा, कि मोदी के पर्सनल रिश्ते अडानी से जुड़े है, जाहिर है, ये रिश्ते रुपयों के ही होगें। और रुपया भी भ्रष्टाचार से कमाया हुआ ही होगा। जिसकी तस्दीक कांग्रेस नेता राहुल गांधी कर चुके है।
मोदी जब देश के लिए इतना हानिकारक है, तो देश की जनता आखिर क्यों इन बातों को नजरंदाज कर वोटिंग कर रही है ?
क्या अब चुनाव निष्पक्ष नहीं रहे ? क्या लोग भ्रष्टाचार से समझौता करने को बाध्य हो चले है ? क्या जनता में हिन्दू-मुस्लिम का चश्मा इतना अधिक चढ़ चुका है, कि लोग अपना बुरा-भला भी ठीक प्रकार से सोच नहीं पा रहे है ? या जनता ने अब अपनी यहीं नियति मान कर समझौता करना शुरू कर दिया है ?
कारण कुछ भी हो सकते है, पर यह आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है, कि मोदी-शाह व अडानी की अगुवाई में देश का विनाश होना लगभग तय है।
जब जनता अपना बुरा-भला सोच-समझ ही नहीं पा रही हो, तो अंत में जो भी होगा, उसका ठीकरा मोदी-शाह व अडानी के सिर पर नहीं, बल्कि जनता के सिर पर ही फूटने वाला है।
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