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चुनावी चर्चा (Election discussion)




 

The court was completely quiet, all the courtiers were seated on their thrones, just waiting for Raja Mangalu. Then one of the courtiers loudly announces---


Respectfully, be careful --- the incarnation of Lord Vishnu, degree holder of Entire Political Science, grandfather of blind devotees, don of electoral bond recovery scam, Shri Shri Shri Shri 420 aka 420, Maharaj Mangalu is arriving in the court .......Dhum dhum dhum dhum dhum.


All the courtiers stand up from their thrones--- Jai Maharaj Mangalu?


Raja Mangalu (sitting on his throne and instructing everyone to sit) ---


-----Home Minister, what are you studying so deeply?


 Home Minister --- Maharaj, some citizens of the state have filed an RTI, that how many people from "Entire Politics Science" are there in our state? Raja Mangalu (showing red eyes) -- Home Minister ji! Speak with all your senses. Are you insulting me? Home Minister --- (with folded hands) -- Forgive me for my audacity, Maharaj. What status do I have that I can insult you? Anyway, I have done Intermediate after 12th. These are some rebellious citizens of the state, who keep on doing such disgusting acts.


Raja Mangalu -- Home Minister, that is why I say, that when I give any "task", then count my blind followers properly. Home Minister -- Maharaj, this is the matter of concern, whenever the counting was done as per your "task", the number of donkeys............I mean the number of your blind followers is continuously decreasing. Raja Mangalu --- That is why I say? Two phases of elections have been completed, you have openly spoken about fish, Muslims, Mangalsutra, infiltrators, everything? Even then the bastards did not come out to vote? Should I fire the cannon now? Home Minister -- Yes Maharaj, you are absolutely right? Your words were so poisonous, that even if a dead person had heard them, he would have also come and cast his vote. But it seems so Maharaj? These donkeys..........I mean Maharaj, the soul of your blind followers has died.  Raja Mangalu --- Home Minister ji, you have talked about passing Inter after 12th? Oh fool, his soul is not dead, but has awakened. That is why even my most venomous words are not reaching his ears. One reason is also that the Opposition's one lakh per year is proving to be too much for my five kilos. What should I do? Should I get two lakhs announced?


Home Minister -- Maharaj, the opposition is crazy, don't be crazy? You will get two lakhs announced? Then what will be left for your friends? Maharaj, you have to increase five trillion for them only? When you will put everything in the pockets of these poor people? Then what will you give to the rich friends? Baba's small thing?


Raja Mangalu -- Home Minister, you are right? We have not appointed you as our Home Minister without any reason. Now tell me this? Will something good happen in the third phase or not?


Home Minister -- Maharaj, forgive me for being impudent, can I say one thing? Till the time you are stuck on fish, Muslims, infiltrators and mangalsutra, nothing will happen this time? You will have to do something big this time. Only then will our boat reach the shore?  Otherwise.....


Raja Mangalu --- (scratching his beard)-- I understood..... I understood....Home Minister?... Why are you scaring me?


As for the mangalsutra? I have been eyeing it ever since I stole my sleeping wife's mangalsutra and fled. Well, that is an old story.


Look Home Minister, my brain is full of poisonous ideas. My poisonous ideas are more wicked than the scoundrel I appear to be. Now give me some time to think so that I can defeat the opposition in one go with my poisonous mind.


Having said this, Raja Mangalu got lost in poisonous thoughts.






हिन्दी रूपांतरण 


दरबार एकदम शांत था, सभी दरबारी अपने-अपने सिंहासनों पर आसीन थे, बस राजा मंगलू का इंतजार था। 


      तभी एक दरबारी जोर से ऐलानियां करता है---


बाअदब, बामुलाहिजा होशियार --- भगवान विष्णु के अवतार, एंटायर पालिटिक्स साइंस के डिग्रीधारक, अंधभक्तों के पितामह,  इलेक्टोरल बांड वसूली कांड के डान,  श्री श्री श्री श्री 420  उर्फ 420,  महाराज मंगलू दरबार में पधार रहे है .......ढम ढम ढम ढम ढम।



सभी दरबारी अपने-अपने सिंहासन से खड़े होकर--- महाराज मंगलू की जय हो ? 



राजा मंगलू  (अपने सिंहासन पर आसीन होकर सभी को बैठने का निर्देश देते हुए)  --- 


-----गृहमंत्री जी,  ये इतनी गहनता से क्या अध्ययन कर रहे हो ? 



गृहमंत्री --- महाराज,  राज्य के कुछ नागरिकों ने RTI डाली है, कि हमारे राज्य में  "एंटायर पालिटिक्स साइंस"  के कितने लोग है ?  



राजा मंगलू  (लाल आंख दिखाते हुए)-- गृहमंत्री जी ! होश में रहकर बात करों ?  तुम मेरा अपमान कर रहे हो ?



गृहमंत्री ---( हाथ जोड़कर)-- गुस्ताखी माफ हो महाराज।   मेरी भला क्या औकात ?  जो मैं आपका अपमान करूं ?   मैं तो वैसे भी बारहवीं के बाद इंटर किए हूं।  ये राज्य के कुछ विद्रोही नागरिक है, जो ऐसा घृणित कृत्य करते रहते है। 


राजा मंगलू -- गृहमंत्री, इसीलिए कहता हूं, कि जब मैं कोई  " टास्क" दिया करूं, तो मेरे अंधभक्तों की गिनती अच्छी तरह किया करों। 



गृहमंत्री--  महाराज, यहीं तो चिंता का विषय है, जब-जब आपके  "टास्क"  से गिनती करवाई गई ? गधों की संख्या............मेरा मतलब आपके अंधभक्तों की संख्या में लगातार कमी आ रही है ?



राजा मंगलू --- तभी मैं कहूं ?   दो चरण के चुनाव हो गये ?   मछली,  मुसलमान, मंगलसूत्र, घुसपैठिए सभी कुछ तो खुल्लम-खुल्ला बोल दिया ?  तब भी ससुरे वोट डालने बाहर नहीं निकलें ?  अब क्या तोप चलवा दूं ? 



गृहमंत्री -- जी महाराज,  आप बिल्कुल ठीक कह रहे है ?  आपके बोल इतने जहरीले थे ?  कि यदि कोई मुर्दा भी सुन लेता ?  तो वो भी चलकर वोट दे आता ?  पर ऐसा लगता है महाराज ?   इन गधों की..........मेरा मतलब है महाराज,  आपके अंधभक्तों की आत्मा ही मर चुकी है ? 



राजा मंगलू --- कर दी न गृहमंत्री जी, आपने बारहवीं के बाद इंटर पास करने वाली बात ?  अरे मूरख, उनकी आत्मा मरी नहीं है, बल्कि जाग चुकी है ?  इसीलिए मेरे जहरीले से जहरीले बोल भी उनके कानों तक नहीं पहुंच पा रहे है ?  एक कारण ये भी है, मेरे पांच किलो पर विपक्ष का साल का एक लाख भी भारी पड़ रहा है ?  क्या करू ?  दो लाख की घोषणा करवा दूं ?


गृहमंत्री -- महाराज, विपक्ष तो पागल है, आप पागल न बनें ?   दो लाख की घोषणा करवा देगें ?  तो फिर आपके दोस्तों के क्या बचेगा ?  महाराज, पांच ट्रिलियन उन्हीं के तो बढ़ाने है ?  जब इन गरीबों की झोली में ही सब डाल देगें ?   तो अमीर दोस्तों को क्या देगें ?  बाबाजी का ठुल्लू ? 



राजा मंगलू -- बात तो ठीक कह रहे हो गृहमंत्री जी ?  हमने यों ही तुम्हें अपना गृहमंत्री नहीं रखा है ?  


      अब ये बताओ ?  तीसरे चरण में कुछ अच्छा भी होगा या नहीं ? 



गृहमंत्री --  महाराज,  गुस्ताखी माफ हो, तो एक बात बोलूं ?  जब तक आप मछली, मुसलमान, घुसपैठिए व मंगलसूत्र पर अटके रहेगें, तब तक इस बार कुछ न होगा ?  आपको इस बार कुछ बड़ा करना होगा ?  तभी हम सभी की नैय्या पार लग पायेगी ?  वरना.....




राजा मंगलू ---  (दाढ़ी खुजाते हुए)--  समझ गया..... समझ गया....गृहमंत्री जी ?.. .....डराते क्यों हो ? 


रही बात मंगलसूत्र की ?   तो उस पर मेरी नजर तभी से रही है, जब मैं अपनी निंद्रा में डूबीं बीबी का मंगलसूत्र चुराकर भागा था ?  खैर वो पुरानी बात है।  


           देखो गृहमंत्री जी,  मेरी इस खोपड़ी में जहरीले आइडियों की भरमार रहती है ?   मैं जितना कमीना दिखाई देता हूं, उससे ज्यादा कमीने मेरे जहरीले आइडिये होते है ?   अब मुझे कुछ सोचने का वक्त दो, जिससे विपक्ष को अपने जहरीले दिमाग से एक बार में ही चित्त कर दूं ?



  इतना कहकर राजा मंगलू जहरीली सोच में डूब गया।






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