Two prisoners were brought in front of a king, both had black blindfolds tied over their eyes.
Some citizens were also present in the court, but due to the king's principles they too were made to wear black blindfolds. Now only the king and his courtiers could see the scene in that court. All others were forced to remain blind despite having eyes.
As soon as those two prisoners entered the court, the king whispered something in the commander's ears. As per the king's order, the commander told those two prisoners that the king has ordered that both of you will be given different food today, one will get delicious food and the other will get rotten food. As per the king's order, both of you will have to eat your own food. Otherwise....?
While giving food to both the prisoners, they were told what kind of food they were going to get. Now the one who was supposed to be given tasty food, his luck changed.
But when the time came to give food, at the last moment, as per the king's order, the plates of food of both were quietly changed.
Now what happened was that the one who was supposed to get tasty food, ate the rotten food with great relish, and the one who was supposed to get the rotten food, ate the tasty food in a very astringent manner.
Who ate what, only the king knew, the prisoners and the people present there were just realizing this and forming their own opinion about the king.
The same thing happened to many people today after seeing Prime Minister Modi at the Chief Justice's house. All the countrymen kept thinking that Chandrachur ji is protecting the country as the pillar of the country. No one can be like him.
But Modi in the form of a king broke this illusion of the people. And also gave the message that what you were feeling was not the truth at all. You were seeing only that which I wanted to show you till now. The reality was the opposite.
Uddhav Thackeray's Shiv Sena has expressed great surprise that when the Prime Minister himself is our opponent in the case, then how can the Chief Justice of the country personally invite an opponent to the Prime Minister while being in office? How can he develop personal relations with him?
But this has happened. The Chief Justice had personally invited the Prime Minister to his home. This invitation says a lot in itself. Now those judgments will also be dug out, which were ignored till now. The people of the country were also foolishly seeing only that which was not the actual truth at all.
Is it possible that the Chief Justice of today may be seen as a Rajya Sabha MP or a Governor of some state in the coming future? This has happened once before, there is no guarantee that it will not happen this time.
If this happens in future too, then believe me, what happened the first time had caused a dent in the law and order, but what will happen this time will bring down this system completely.
Let us see what happens next?
हिंदी रुपांतरण
एक राजा के सामने दो कैदियों को लाया गया, दोनों की आंखों पर काली पट्टियां बधी हुई थी।
दरबार में कुछ प्रजाजन के लोग भी मौजूद थे, पर राजा के उसूलों के चलते उन्हें भी काली पट्टियां पहनाई गई थी। अब उस दरबार का दृश्य केवल राजा व उसके दरबारी ही देख सकते थे। बाकी सभी आंखें होते हुए भी अंधे बने रहने को मजबूर थे ।
जैसे ही वो दो कैदी दरबार में आये, राजा ने सेनापति के कान में कुछ बुदबुदाया ? राजा की आज्ञानुसार सेनापति ने उन दोनों कैदियों से कहा, कि राजा का आदेश है, कि तुम दोनों लोगों को आज अलग-अलग भोजन दिया जायेगा, एक को स्वादिष्ट भोजन मिलेगा, और दूसरे को सड़ा हुआ भोजन ? राजा की आज्ञानुसार तुम दोनों को अपना-अपना भोजन खाना ही होगा ? अन्यथा....?
भोजन देते समय दोनों कैदियों को बता दिया गया कि तुम्हें कौन सा भोजन मिलने वाला है। अब जिसे स्वादिष्ट भोजन दिया जाना था, उसके तो नसीब ही खुल गये।
किन्तु जब भोजन देने का समय आया, तो ऐन वक्त पर राजा की आज्ञानुसार चुपचाप दोनों के भोजन की थालियां बदल दी गई।
अब हुआ ये, कि जिसे स्वादिष्ट भोजन मिलना था, उसने सड़े भोजन को भी बड़े चाव से खाया, और सड़े हुए भोजन मिलने वाले ने स्वादिष्ट भोजन को भी बड़े कसैले अंदाज से मुंह में सटका।
किसने क्या खाया, ये बात सिर्फ राजा को पता थी, कैदी व वहां मौजूद प्रजाजन के लोग इस बात को सिर्फ महसूस करते हुए राजा के प्रति अपनी-अपनी धारणा बना रहे थे।
यहीं बात आज बहुत से लोगों को मुख्य न्यायाधीश के घर प्रधानमंत्री मोदी को देखकर घटित हुई ? समस्त देशवासी यहीं समझते रहे, कि चंद्रचूड़ जी देश के स्तम्भ के रूप में देश की रक्षा कर रहे है ? उन जैसा कोई नहीं हो सकता ?
किन्तु राजा रूपी मोदी ने जनता के इस भ्रम को तोड़कर रख दिया ? और ये भी संदेश दिया, कि जो तुम महसूस कर रहे थे, असल में वो सत्य था ही नहीं ? तुम वहीं देख रहे थे, जो मैं तुम्हें अब तक दिखाना चाहता था। हकीकत इसके उलट थी।
उद्भव ठाकरे की शिवसेना ने इस पर घोर आश्चर्य व्यक्त किया है, कि जब प्रधानमंत्री स्वयं मुकदमें में हमारे विरोधी है, तो एक विरोधी व्यक्ति को कार्य काल पर रहते हुए देश के मुख्य न्यायाधीश प्रधानमंत्री को व्यक्तिगत बुलाया कैसे दे सकते है ? उनसे अपने व्यक्तिगत संबंध कैसे बना सकते है ?
किंतु ये हुआ है ? मुख्य न्यायाधीश ने प्रधानमंत्री को व्यक्तिगत रूप से अपने घर आमन्त्रित किया था। यह आमन्त्रण अपने आप में बहुत कुछ कहता है, अब वे जजमेंट भी खोद-खोदकर निकाले जायेगें, जिन्हें अब तक नजर अंदाज किया गया। देश की जनता भी मूर्ख बनकर अब तक वहीं देखती आ रही थी, जो वास्तविक सच था ही नहीं ?
हो सकता है, कि आज के मुख्य न्यायाधीश आने वाले कल में राज्यसभा के सांसद या किसी राज्य के राज्यपाल के रूप में दिखाई पड़ जाये ? ऐसा पहले भी एक बार हो चुका है, इस बार नहीं होगा, इस बात की कोई गारंटी थोड़े ही है।
यदि आगे भी ऐसा होता है, तो यकीन मानिए, पहली बार जो हुआ था, उससे इस कानून व्यवस्था में सेंध लगी थी, परन्तु इस बार जो होगा, उससे यह व्यवस्था भर-भराकर गिरेगी ?
आगे-आगे देखिए, होता है क्या ?
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