When the election officer is elected by Modi, how will he conduct fair elections?
When Modi's person can rig the election in Chandigarh with ballot paper in front of our eyes, then what is the guarantee that there will be no rigging in EVMs? Modi was involved in Chandigarh, this is proved by the fact that Modi had hired the most expensive lawyers to save Anil Masih.
Only those people have faith in Modi and the Election Commission who are his blind followers and well-wishers. Common and unbiased people have completely lost faith in the Election Commission and Modi's working style.
It is Modi's misfortune that all his tricks get exposed, he is not being punished because he is still in power. But it is said that how long will even a goat's mother be happy? A day will come when Modi will definitely suffer the punishment for his deeds.
The people of the country should carefully examine the good and bad while choosing a government. They should think, whether they want a government that works for the welfare of the poor or a government that fills the pockets of the rich and makes a lot of noise about five trillion?
If even after facing so much oppression from the government, farmers, unemployed, working women are not able to see a picture beyond Modi, then it would be appropriate to say that "getting five kilos of grain has become their destiny."
हिन्दी रूपांतरण
जब चुनाव अधिकारी मोदी के चुने हुए हो, तो वह भला क्या निष्पक्ष चुनाव करायेगें ?
जब मोदी का व्यक्ति चंडीगढ़ में आंखों के सामने वैलेट पेपर से चुनाव में धांधली कर सकता है, तो ईवीएम में कोई धांधली नहीं होगी, इसकी क्या गारंटी है ? चंडीगढ़ में मोदी संलिप्त थे, ये बात इससे सिद्ध होती है, कि मोदी ने अनिल मसीह को बचाने के लिए सबसे मंहगे वकीलों की जमात खड़ी कर दी थी।
मोदी व चुनाव आयोग पर सिर्फ उन्हीं लोगों को भरोसा है, जो मोदी के अंधभक्त व हितैषी है। आम व निष्पक्ष व्यक्तियों का चुनाव आयोग व मोदी की कार्यशैली से भरोसा एकदम उठ चुका है।
ये मोदी का दुर्भाग्य है, कि वह जितनी भी चालें चलते है, उन सभी का पर्दाफाश हो जाता है, दंडित इसीलिए वह नहीं हो पा रहे, कि वह सत्ता में बने हुए है ? पर कहते है, कि बकरे की अम्मा भी कब तक खैर मनायेगी ? एक दिन वो भी आयेगा, जब मोदी अपनी करनी की सजा अवश्य भोगेगें।
देश की जनता को सरकार चुनते वक्त अच्छे व बुरे की परख बारीकी से करनी चाहिए ? उन्हें सोचना चाहिए, कि वो गरीबों का भला करने वाली सरकार चाहते है, या अमीरों की झोली भरकर पांच ट्रिलियन का ढिंढोरा पीटने वाली सरकार चाहते है ?
यदि सरकार के इतने जुल्म सहने के बाद भी किसान, बेरोजगार, मजदूर महिलाएं, मोदी से आगे की तस्वीर नहीं देख पा रहे है, तो यहीं कहना उचित होगा, कि "पांच किलों अनाज लेना ही उनकी नियति रह गई है।"
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