Strange games are going on in the country? The news of finding about 50 thousand rupees at the seat of Congress Rajya Sabha MP Abhishek Manu Singhvi was made viral with great enthusiasm.
By the way, Abhishek Manu Singhvi has clarified that the said money is not mine, it should be returned to the person to whom it belongs after investigation.
Now, carrying 50 thousand rupees is not a crime? Even if it belonged to Manu Singhvi, no such big scandal would have happened.
But this matter was deliberately raised by Modi-Shah so that the public does not even get a whiff of the big news of "Adani".
So that all the states can buy Adani's expensive electricity secretly, Modi waived off "34....thousand crores" through "ISTS" only to benefit Adani.
With this 34 thousand crores, hospitals could be opened in the country? Children could be given facilities in schools? Farmers could be given relief? Could a bigger relief package have been issued to other poor and weaker sections?
But Modi neither did nor thought about all this. He did all this for "Adani". A sum of "34 thousand crores" which was the right of the public was waived off at once.
Modi could do all this because he knew very well that he has made the public wear the glasses of religion. By wearing which a person becomes a "blind devotee" and completely stops thinking and understanding his good and bad.
The extent of Modi's meanness can be judged from the fact that to suppress the matter of "34 thousand crores" of Adani, he gave a strong impetus to the issue of getting only 50 thousand rupees under the table. In which the Vice President, who is sitting on a constitutional post, supported him very well.
The people of a country, who do not understand their good and bad and become slaves of a political party like fools by becoming "blind devotees", will get such results.
The sad thing is that even those people will suffer who never supported the deeds of Modi-Shah and Adani.
हिन्दी रुपांतरण
देश में अजब-गजब खेल चल रहा है ? कांग्रेस राज्य सभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की सीट पर लगभग 50 हजार रुपए मिलने पर पूरी खबर को जोर-शोर से वायरल किया गया।
वैसे अभिषेक मनु सिंघवी ने स्पष्टीकरण दिया है, कि उक्त रुपये मेरे नहीं है, जिसके हो, जांच करते हुए उसे लौटा दिये जाये।
अब 50 हजार रुपया लेकर चलना कोई जुर्म तो है नहीं ? यदि मनु सिंघवी के होते, तो भी ऐसा कोई बड़ा कांड तो हो नहीं गया था।
परन्तु इस मामले को जानबूझकर मोदी-शाह द्वारा इसीलिए उछाला गया, जिससे "अडानी" की बहुत बड़ी खबर की जनता को हवा भी न लग सकें।
मोदी ने चुपके-चुपके अडानी की महंगी बिजली सभी राज्य खरीद सके, इसके लिए उन्होंने सिर्फ अडानी को फायदा पहुंचाने के लिए "ISTS" के जरिए "34....हजार करोड़" रुपए माफ कर दिये।
इस 34 हजार करोड़ से देश में अस्पताल खोले जा सकते थे ? बच्चों को स्कूलों में सुविधायें दी जा सकती थी ? किसानों को राहत दी जा सकती थी ? अन्य गरीब कमजोर वर्ग को बड़ा राहत पैकेज जारी किया जा सकता था ?
परन्तु यह सब कुछ मोदी ने न ही किया, और न ही सोचा ? उन्होंने यह सब "अडानी" के लिए किया। एक साथ "34 हजार करोड़" की रकम जो जनता के हक की थी, एकदम से माफ कर दिया गया।
मोदी यह सब इसीलिए कर सका, क्योंकि उसे यह अच्छी तरह मालूम था, कि उसने जनता को धर्म का चश्मा पहना रखा है ? जिसे पहनकर व्यक्ति "अंधभक्त" बनकर अपना भला-बुरा सोचना व समझना पूरी तरह से बंद कर देता है।
मोदी कितना घटियापन का हिसाब इसी से लगाया जा सकता है, कि उसने अडानी के "34 हजार करोड़ रुपए" की बात को दबाने के लिए मात्र 50 हजार रुपए टेबिल के नीचे मिलने के मुद्दे को जोरदार हवा दिलवाई ? जिसमें संवैधानिक पद पर बैठे उपराष्ट्रपति ने इसमें बखूबी साथ दिया।
जिस देश की जनता अपना भला-बुरा न समझकर मूर्खों की भांति "अंधभक्त" बनकर किसी राजनैतिक पार्टी की गुलाम बनेगी, तो परिणाम ऐसे ही मिलेगें।
बस दुख की बात यह है, इसमें वो लोग भी पिसेगें, जिन्होंने मोदी-शाह व अडानी की करतूतों का कभी समर्थन नहीं किया था।
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