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The comments made by the Supreme Court on the Chandigarh Mayor election prove that BJP has now become the party which can go to any extent for "vote theft".
What the Supreme Court saw at first glance, our "independent" and "impartial" - "poor Election Commission" could not see. See the surprising thing? This organization has been set up for this very purpose.
The Election Commission has created such an image within the country after the coming of the Modi government that now even calling it "independent" and "impartial" becomes laughable. Everything will be seen in this impartial institution, except “impartiality”?
Modi has held not only the Election Commission but most of the institutions of the country hostage. By and large, the court is now the only place left where some impartiality is still left. The public is also continuously staring at him without blinking, hoping for the same impartiality.
The presiding officer in the Chandigarh mayor election is just a pawn, who has been caught on camera rigging the votes, if even a little "third degree test" is taken on him, he will also spit out what he has digested. Is.
Modi reiterated that BJP has crossed 400 Lok Sabha seats in Parliament. Even late Rajiv Gandhi did not tell the public with this much confidence, even though he had won more than 400 seats.
This doubt deepens when Modi repeatedly says that there is definitely such a deep relationship between "Modi" and "EVM"? Which the public already knows, but is not able to prove?
हिन्दी रुपांतरण
चंडीगढ़ मेयर चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी से यह साबित होता है, कि बीजेपी अब, वह पार्टी बन चुकी है, जो "वोट चोरी" के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।
जो बात सुप्रीम कोर्ट ने पहली नजर में देख ली, वह बात हमारा "स्वतन्त्र" व "निष्पक्ष"-- "बेचारा चुनाव आयोग" नहीं देख पाया। ताज्जुब की बात देखिए ? इस संस्था को इसी कार्य के लिए रखा गया है।
चुनाव आयोग ने मोदी सरकार आने पर अपनी जैसी छवि देश के अन्दर बना रखी है, उससे अब इसे "स्वतन्त्र" व "निष्पक्ष" कहते में भी हंसी छूटने लगती है। इस निष्पक्ष संस्था में सभी कुछ देखने को मिल जायेगा, बस सिवाय "निष्पक्षता" के ?
मोदी ने चुनाव आयोग ही नहीं, अपितु देश के ज्यादातर संस्थानों को बंधक बनाकर रखा हुआ है। ले-देकर अब कोर्ट ही एकमात्र ऐसी जगह बच गई है, जहां अभी कुछ निष्पक्षता बाकी है। जनता भी उसी निष्पक्षता की आस लिए टकटकी लगाये उसकी ओर बिना पलक झपकाये अनवरत ताक रही है।
चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में प्रसाइडिंग आफीसर तो मात्र मोहरा है, जो कैमरे पर वोट की धांधली करते हुए पकड़ा गया है, यदि इसकी थोड़ी सी भी "थर्ड डिग्री परीक्षा" ले ली जाये, तो ये वह भी उगल बैठेगा, जो इसने हजम कर रखा है।
मोदी ने संसद में बीजेपी की 400 लोकसभा सीटें पार की बात दोहराई । इतने विश्वास से तो स्वर्गीय राजीव गांधी ने भी जनता से नहीं कहा, जबकि वो भी 400 से ऊपर सीटें लेकर आये थे।
मोदी के बार-बार कहने पर यह संदेह और गहरा जाता है, कि जरुर "मोदी" और "ईवीएम" में कोई ऐसा गहरा रिश्ता तो है ? जिसे जनता जान तो गई है, बस साबित नहीं कर पा रही है ?
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