Even in Satyayuga, to waste the time of Hanuman ji, the demonic power Kalnemi had created mischief in the guise of a saint.
Even at present, Kalanemi is doing the same thing wearing modern clothes. At that time Hanumanji recognized him and killed him. But how will the common man be able to recognize in Kaliyuga? It should be good for our Shankaracharyas, who not only recognized Kalnemi hidden in the guise of a saint, but also exposed his exploits.
If the powers of Kalnemi of Satyayuga and Kalnemi of Kaliyuga are assessed, there is a huge difference. Now Kalanemi has the empire of many demonic powers, Godi media and selected government institutions have become its feet magnets. He has prepared an army of blind devotees to keep the public's eyes closed and to ensure that there is always disintegration among them.
This demonic Kalanemi keeps getting exposed again and again with its tendencies and actions, the day the public recognizes it, its end is certain.
हिन्दी रुपांतरण
सतयुग में भी हनुमान जी का समय बर्बाद करने के लिए असुरी शक्ति कालनेमि ने संत का भेष रचकर प्रपंच किया था।
वर्तमान में भी आधुनिक चोला ओढ़कर कालनेमि वहीं कृत्य कर रहा है। उस वक्त तो हनुमानजी ने उसे पहचान कर उसका वध कर दिया था। परन्तु कलयुग में जन साधारण मानस भला कैसे पहचान सकेगा ? वो तो भला हो, हमारे शंकराचार्यों का, जिन्होंने संत भेष में छिपे कालनेमि को न केवल पहचाना, बल्कि उसके कारनामों की पोल भी खोल कर रख दी।
सतयुग के कालनेमि और कलयुग के कालनेमि की शक्तियों का आंकलन किया जाये, तो एक बहुत बड़ा अंतर आ चुका है। अब के कालनेमि के पास कई असुरी शक्तियों का साम्राज्य है, गोदी मीडिया व चुनिंदा सरकारी संस्थान इसके चरण चुबंक बने हुए है। जनता की आंखें बंद रहे, और इनमें हमेशा विघटन बना रहे, इसके लिए उसने अंधभक्तों की एक फौज तैयार कर दी है।
यह असुरी कालनेमि बार-बार अपनी प्रवृत्ति व हरकतों से एक्सपोज होता रहता है, जनता जिस दिन इसे पहचान लेगी, उसी समय इसका अंत भी निश्चित है।
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