The supreme religious leader of Sanatan Dharma is shouting that whatever Modi is going to do or is doing, everything is not going right.
But people wearing the glasses of blind devotion are now considering Modi as the religious leader instead of the biggest religious leader of Sanatan Dharma, Shankaracharya. The saying is right that at the time of destruction even the intellect leaves us, something is happening here.
In Dwapar Yuga, Lord Shri Krishna killed King Paundrak because he had started teaching wrong lessons of religion to the people. Modi also wants to read a similar lesson to the public. In Dwapar Yuga, Lord Shri Krishna had removed the blindfold of the blind devotees by killing Paundrak, but in this Kaliyuga, it will be really interesting to see who will remove this blindfold.
Like King Paundrak, Modi has also become a victim of narcissism. He also wishes that just as people are worshiping Lord Ram, the people of India should also worship him in the same way. That is why he has got his selfie cut outs/statues installed at various places at government expense, so that people can take selfies and worship him.
It would not be surprising if tomorrow some crazy blind devotee provides a book of "Aarti song" and "Chalisa song" in front of his cut out.
This is Kalyug, Kalyug? Here "Modi" is bigger than the religious leader.
हिन्दी रुपांतरण
सनातन धर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु चीख-चीख कर कह रहे है, कि मोदी जो कुछ भी करने जा रहे है, या कर रहे हैं, वह सभी कुछ ठीक नहीं हो रहा है।
पर अंधभक्ति का चश्मा पहने लोग अब सनातन धर्म के सबसे बड़े धर्मगुरु शंकराचार्य की जगह मोदी को ही धर्मगुरु मान बैठे है। कहावत ठीक है, कि विनाश के समय बुद्धि भी साथ छोड़ जाती है, कुछ यहीं हो रहा है।
द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने राजा पौंड्रक का वध इसलिए किया, कि वह लोगों को धर्म का गलत पाठ पढ़ाने लगा था। कुछ ऐसा ही पाठ मोदी भी जनता को पढ़ना चाहते है। द्वापर युग में तो अंधभक्तों के आंखों की पट्टी भगवान श्री कृष्ण ने पौंड्रक का वध करके हटा दी थी, परन्तु इस कलयुग में यह आंखों की पट्टी कौन हटायेगा, ये देखना सचमुच दिलचस्प रहने वाला है।
मोदी भी राजा पौंड्रक की भांति आत्ममुग्धता का शिकार हो चुके है। उनकी भी यही चाहत है, कि जैसे लोग भगवान राम को पूज रहे है, ठीक उसी तरह भारत की जनता उनका भी वंदन करें। इसीलिए उन्होंने जगह-जगह सरकारी खर्चे से अपने सेल्फी कट आउट/मूर्तियां रखवा दी हैं, कि लोग सेल्फी लें, और उनकी वंदना करें।
कल कोई सिरफिरा अंधभक्त उनके कट आउट के सामने "आरती गान" व "चालीसा-गान" की पोथी भी मुहैया करवा दें, तो बहुत ताज्जुब की बात नहीं होनी चाहिए।
ये कलयुग है, कलयुग ? यहां धर्मगुरु से बड़े "मोदी" है।
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