All the four Sanatani Hindu Shankaracharyas have pointed out the evil being done by Modi, that if the half-finished temple is consecrated, it will not be deities but demonic powers will reside in it. That means, even if the idol is of Lord Ram, only demonic powers will reside in it.
Shankaracharya has also drawn attention towards another evil, that after this, whatever worship is done there, the demonic powers established in that idol will continue to expand, and those demonic powers will spread across the country in different ways according to their conduct. Will create calamities.
Now the question arises, is Modi right, or are the four Shankaracharyas saying wrong? The real situation is that all the Shankaracharyas are giving their interpretation according to the Hindu religious scriptures, while Modi and the Sangh are consecrating the idol in a half-finished temple according to the "vote-shastra"? If Modi is so right, then should he come publicly and say that he is right, and Shankaracharya is wrong?
Does Modi, who has a 56-inch chest, have the courage to do this?
Modi is bent upon installing demonic powers in the incomplete temple for the sake of votes, but why is the public so eager to install demonic powers in the temple? When it is not possible for God to be alive in the idol of that incomplete temple, then why is the country being handed over to demonic powers? The person who says “Lavadeya Bhujayam”
It is surprising that Modi is not able to tell the public even a single work done by him in the last ten years of his tenure, which could help him get votes? He neither says anything on inflation nor on employment? Neither say anything on petrol-diesel, nor on gas cylinder? Neither are you able to say anything on doubling the income of farmers, nor on permanent houses for the poor? Neither are they able to say anything on bringing black money, nor on demonetization? ,
That is to say, Modi has nothing to say to count his works, which is why he is no longer able to refrain from even begging for votes in the name of God. Now it is for the public to decide whether they want to vote for Modi in the name of God? Or does she want to throw away her precious vote by throwing the country into trouble if demonic powers are established in the temple?
Modi has become blind for the sake of votes, but the people of the country are intelligent.
Will she ever let ------- "Lavadeya Bhujayam" ----- happen?
हिन्दी रुपांतरण -----++++
चारों सनातनी हिन्दू शंकराचार्य मोदी द्वारा किये जा रहे अनिष्ट की ओर इशारा कर चुके है, कि आधे-अधूरे मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा करने पर देवता का नहीं, अपितु उसमें असुरी शक्तियों का वास होगा। यानि मूर्ति चाहे भले ही भगवान राम की क्यों न हो, परन्तु उसमें वास असुरी शक्तियां ही करेगी ।
एक और अनिष्ट की ओर भी शंकराचार्यों ने ध्यान आकृष्ट किया है, कि इसके बाद वहां जितनी भी पूजा अर्चना की जायेगी, उस मूर्ति में स्थापित असुरी शक्तियों का विस्तार होता जायेगा, और वो असुरी शक्तियां अपने आचरण के अनुसार पूरे देश में भांति-भांति की विपत्तियां पैदा करेगीं।
अब प्रश्न उठता है, मोदी सही है, या चारों शंकराचार्य गलत बोल रहे है ? वास्तविक वस्तुस्थिति यह है कि सभी शंकराचार्य तो हिन्दू धर्म शास्त्र के हिसाब से अपनी व्याख्या कर रहे है, जबकि मोदी व संघ "वोट- शास्त्र" के हिसाब से आधे-अधूरे मंदिर में मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा कर रहे है ? मोदी यदि इतना ही सही है, तो वो सार्वजनिक रूप से आकर कह दें, कि वो ठीक है, और शंकराचार्य गलत है ?
क्या ऐसा करने का साहस 56 इंच की छाती वाले मोदी में है ?
मोदी तो वोट की खातिर अधूरे मंदिर में असुरी शक्तियां स्थापित करने पर तुले हुए है, पर जनता क्यों मंदिर में असुरी शक्तियों को स्थापित करने को आतुर है ? जब उस अधूरे मंदिर की मूर्ति में ईश्वर की प्राण-प्रतिष्ठा होना सम्भव ही नहीं है, तो देश को क्यों असुरी शक्तियों के हवाले किया जा रहा है ? जो व्यक्ति "लवड़ेया भुजयम"
ताज्जुब होता है, कि मोदी पिछले दस वर्षों के कार्यकाल का एक भी ऐसा काम जनता को नहीं गिना पा रहे, जिससे उन्हें वोटों की प्राप्ति हो सकें ? वो न मंहगाई पर कुछ बोलते है, न रोजगार पर ? न पैट्रोल-डीजल पर कुछ बोलते है, न गैस सिलेंडर पर ? न किसानों की दोगुनी आय पर कुछ बोल पा रहे है, और न गरीबों के पक्के घर पर ? न वो काला धन लाने पर कुछ बोल पाते है, और न नोटबंदी पर ? ...?
कहने का मतलब मोदी के पास अपने कामों को गिनानें के लिए कुछ भी कहने को नहीं है, यहीं कारण है, कि वह अब भगवान के नाम पर वोट की भीख मांगने से भी परहेज़ नहीं कर पा रहे है। अब यह जनता को तय करना है कि वह मोदी को भगवान के नाम पर वोट देना चाहती है ? या मंदिर में असुरी शक्तियां स्थापित होने पर देश को अनिष्ट में झोंककर, अपने अमूल्य वोट को फेंकना चाहती है ?
मोदी तो वोटों की खातिर अंधे बन चुके है, पर देश की जनता समझदार है,
वो ------- "लवड़ेया भुजयम" -----कभी नहीं होने देगी ?
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