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blind devotion (अंधभक्ति )



 



Modi closes his eyes to everything from which he is not getting any benefit.  That is, where there is political loss, they do not see it.

     

      We will remember the strike of farmers and wrestlers, we will remember the burning of Manipur and Haryana in the ethnic fire.  Modi's eyes remained closed on such burning issues.


     Modi has now understood that the public (only blind devotees) is completely trapped in his hypnotism, hence now he has nothing to do with unemployment, inflation, health-medical education, diesel-petrol.  That's why Modi is ignoring all the issues and focusing only on "Hindus are in danger", he has understood very well that the people of this country (blind devotees) do not want any basic facilities, but only religious tinkling.  Need, and he takes advantage of this weakness and keeps playing that rattle on various platforms from time to time.


       Now a new jhunjhuna means a new event, Ram Mandir inauguration, is coming, which Modi will use very well and make that jhunjhunu loudly.


      Modi also wants that just as he does not look at the fundamental issues, in the same way the blind devotees of the country should also keep their eyes closed because it is to their advantage.


       It is inevitable that the eyes of the blind devotees will definitely open one day, but by then Modi will have done as much as he wanted to destroy the country.


     Then the brainless person (blind devotee) will be breaking his head by becoming Rudali.  Perhaps they would have no other option then, because the birds would have already eaten up the fields.





हिन्दी रुपांतरण


मोदी हर उस तरफ से अपनी आंखें मूंद लेते है, जिस ओर से उन्हें कोई फायदा न हो रहा है।  यानी जहां राजनैतिक नुकसान हो, उधर वो नहीं देखते।  

     

     याद होगा किसानों व पहलवानों का धरना, याद होगा मणिपुर व हरियाणा का जातीय आग में जलना।  ऐसे ज्वलंत मुद्दों पर मोदी की आंखें बंद रहीं। 


    मोदी अब समझ चुके है, कि जनता (सिर्फ  अंधभक्त)  उनके सम्मोहन में पूरी तरह फंस चुकी है, इसलिए अब उसे बेरोजगारी, मंहगाई, स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा, डीजल-पेट्रोल से उसका कोई लेना-देना नहीं रहा है।   मोदी इसी कारण  सभी मुद्दों को दरकिनार कर सिर्फ "हिन्दू खतरे में है", पर ही फोकस किये हुये है, वह अच्छी तरह समझ चुके है, कि इस देश की जनता को ( अंधभक्तों को )  कोई मूलभूत सुविधाएं नहीं चाहियें,  बल्कि सिर्फ धार्मिक झुनझुना चाहिए, और वह इसी कमजोरी का फायदा उठाकर जब-तब विभिन्न मंचों पर उस झुनझुनें को बजाते रहते है। 


      अब नया झुनझुना मतलब,  नया इवेंट राम मंदिर उद्घाटन आ रहा है, जिसका मोदी बखूबी इस्तेमाल कर उस झुनझुनें को जोर-शोर से बजायेगें। 


     मोदी भी यहीं चाहते है, कि जिस तरह मूलभूत मुद्दों की तरफ वह नहीं देखते, उसी तरह देश की अंधभक्त जनता भी यों ही अपनी आंखे बंद किये रहे, क्योंकि इसी में उनका फायदा है।  


      इतना तो अवश्यंभावी है कि अंधभक्तों की आंखें तो एक दिन तो अवश्य खुलेगी,  पर तब तक मोदी देश का जितना बड़ा, बेड़ा गर्ग करना चाहते होगें, वह कर चुके होगें।  


    तब  ब्रेन साफ व्यक्ति (अंधभक्त)  रुदाली बनकर अपना माथा फोड़ रहे होगें।  शायद इसके अलावा उनके पास तब कोई चारा भी नहीं होगा, क्योंकि चिड़िया खेत चुग चुकी होगी।

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