अम्मा जैसे-जैसे ठीक होती जा रही थी, वैसे-वैसे मेरा हौसला भी बढ़ता जा था, अम्मा सचमुच मौत को हराकर आई थी। अब धीरे-धीरे ही सही, पर ठीक होता जा रहा था। मुझे याद है कि अम्मा ने 2018 की दीपावली का त्यौहार कमजोर शरीर होने के बाद भी पूरी विधि-विधान से मनाया था। खुद का स्वास्थ्य ठीक न होने पर भी उन्होंने मुझे काफी सम्भाला, और कहा कि जो गया, उसे बुरा वक्त समझ कर भूल जाओ। मैं भी अम्मा की इन सकारात्मक सोच से इत्तफाक रखता था।
5-6 माह और गुज़र गये, अम्मा इस बीच ठीक-ठाक चलती रही। 2019 वर्ष आ चुका था, जिसमें अम्मा प्रवेश कर चुकी थी। अम्मा नहीं भी कभी कभार ठीक होती, तो भी मेरा हौसला बनाए रखने के लिए अपने को ठीक दर्शाने की कोशिश में रहती थी। इधर मैंने स्टेशनरी का कारोबार करना फिलहाल बंद कर दिया। क्यो कि मुझे लगता था, कि जब तक अम्मा पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाती, तब तक मुझे अम्मा के पास ही रहना चाहिए। अम्मा बीच-बीच में मुझसे बार-बार कहती, कि अब मैं ठीक हूं, तुम अब अपना काम शुरू कर सकते हो । मैं उनसे यही कहता कि अम्मा एक बार मैं पूर्ण निश्चित हो जाऊं, तो हम दोनों एक बार फिर से दुकान चला करेंगे। 3 माह ही और गुजर पाये होगे, अम्मा सितंबर 2019 में यकायक सांस की परेशानी से फिर ग्रसित हो गई। वह फिर से बेंड पर अपना ज्यादातर समय बिताने लगी। अब अम्मा घर के काम-काज में कम ही सहयोग दे पा रही थी, पर मुझे इसमें कोई दिक्कत नहीं आ रहीं थीं, क्योंकि दो ही लोग का ही काम था, जो आराम से हो जाता था।
अम्मा को एक नई बीमारी भी लग गई, अब हार्ट फेलियर, किडनी प्रोबलम, फेफड़ों में पानी भरने की समस्या के साथ-साथ उन्हें असहनीय कमर दर्द भी रहने लगा। इस कारण वो पूरे-पूरे दिन दर्द से कराहती रहती। दर्द निवारक दवा का वो सेवन करतीं, पर उससे उन्हें थोड़े वक्त के लिए ही आराम मिलता, बाकी समय वह परेशान रहती।
इन सब बातों से जुझते हुए आखिरकार 2019 की दीपावली पर्व आ गया। परेशानी के बाद भी अम्मा ने बड़ी तन्मयंता से घर के सब काम करें, अम्मा 84 वर्ष की आयु होने पर भी उस दिन उन्होंने अच्छे-अच्छे व्यंजन बनाए। जिसे हम दोनो ने मिलकर उनका जायका लिया। सब कुछ विपरीत होने पर भी अम्मा ने त्यौहार को भरपूर मनाया। हम दोनों ही मां-बेटा बहुत ही खुश थे पर यह खुशी चंद दिनों की थी ।
एक दिन अम्मा बाथरूम में नहाने गई, एकाएक उनके चीखने की आवाज मुझे सुनाई दी, मैं भाग कर अम्मा के पास पहुंचा, वहां जाकर देखा, तो पाया कि अम्मा उठने की कोशिश कर रही हैं, पर वह अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पा रही थी, मैं भी यह सब देखकर ताज्जुब में था, कि अम्मा बाथरूम अच्छी खासी चलकर गई थी, अचानक अम्मा अपने पैरों पर खड़ी क्यों नहीं हो पा रही है। उनकी ऐसी दशा देखकर मैं अम्मा को किसी प्रकार अस्पताल ले गया। जहां अम्मा के न जाने कितने चैक अप हुए। चैक अप के बाद डाक्टरों ने अम्मा को पैरालिसिस घोषित कर दिया। यह सब सुनकर मैं बड़ा हैरान व परेशान था। अम्मा पर क्या बीत रही होंगी, मैं उनकी परेशानी को शब्दों में वर्णन नहीं कर सकता।
कहानी अभी और है दोस्तों, मिलते हैं, पार्ट 3 अम्मा की स्टोरी में।
नमस्कार।
As Amma was getting better, my spirits also increased, Amma really came to beat death. Now slowly, but it was getting better. I remember that Amma celebrated the festival of Deepawali in 2018 with complete law even after having a weak body. Even after his own health was not good, he took a lot of my attention, and said that forget what happened, considering it a bad time. I also used to agree with Amma's positive thinking. 5-6 months passed and Amma kept on doing well in the meantime. The year 2019 had arrived, in which Amma had entered. Even if Amma would have been fine sometimes, she would keep trying to show herself well to keep my spirits up. Here I stopped doing stationery business for the time being. Because I thought that until Amma is completely cured, I should stay with Amma. Amma used to repeatedly tell me that I am fine now, you can start your work now. I would have told him that once Amma is fully convinced, both of us will run the shop once again. In 3 months, Amma suddenly suffered from respiratory problems in September 2019. She again spent most of her time on the bend. Now Amma was less able to support the work of the house, but I was not having any problem in it, because it was the work of only two people, which used to be comfortable.
Amma also got a new disease, now heart failure, kidney problem, watering problem in lungs as well as she started having unbearable backache. Because of this, she would groan with pain throughout the day. She used to take pain relief medicine, but it would give her some rest for a short time, the rest of the time she would be upset.
While dealing with all these things, the Deepawali festival of 2019 has finally arrived. Even after the trouble, Amma did all the household work with great diligence, even after Amma was 84 years old, she made good dishes that day. Which both of us together took a taste of them. Despite everything being contrary, Amma celebrated the festival to the fullest. Both of us mother and son were very happy but this happiness was of few days.
One day Amma went to bath in the bathroom, I suddenly heard the sound of her screaming, I ran to Amma, went there and looked, then found Amma trying to get up, but she could not stand on her feet. Thi, I too was surprised to see all this, that Amma had gone to the bathroom quite well, suddenly why Amma is not able to stand on her feet. Seeing her such condition, I somehow took Amma to the hospital. Where Amma did not know how many checks took place. After the check up, the doctors declared Amma as paralysis. I was very shocked and upset after hearing all this. What Amma must have been going through, I cannot describe her problems in words.
The story is yet more Friends, see you, Part 3 in Amma's Story.
Hi..
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