अम्मा की स्टोरी में अब तक आपने जो पढ़ा , उसके आगे का भाग प्रेषित कर रहा हूं।
अम्मा ने 23 मई तक आते-आते मुझसे बिल्कुल बोलना छोड़ दिया। जिस मां के बिना मैं कोई कदम नहीं उठाता था, उनके बिना कोई भी काम करना बड़ा अजीब सा लग रहा था। पर समय सब कुछ करा भी देता है, और सिखा भी देता है। मैं अब अपनी संतुष्टि के लिए अम्मा से पूछ लेता था, पर अम्मा का कोई जबाब न मिलने पर बेहद कष्ट होता था।
25 मई 2020 तक अम्मा के इलाज से कोई फर्क नहीं आया, बल्कि एक और नई परेशानी जुड़ गई, अब क्रेटनिन किडनी में अम्मा का इतना बढ़ गया, कि उनका टायलेट जाना बिल्कुल रूक गया। जिससे अम्मा की स्थिति काफी गंभीर हो गई। बचने के चांस बिल्कुल नग्नय हो गये।
26 मई 2020 की सुबह इलाज के दरमियान डाक्टर ने कह दिया, कि अब कुछ नहीं कर सकता। अब तो अस्पताल में भर्ती कराया जाना शेष रह गया है। पर करोना के चलते यह मेरे जैसे मामूली व्यक्ति के लिए सम्भव नहीं था। मैं अपने आप को जितना वेवश समझ रहा था, उसको मैं शब्दों में नहीं पिरो सकता। बस अम्मा को हालात के सुपुर्द करने के अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं था।
आखिरकार 26 मई 2020 की वह मनहूस रात भी आ गई। डाक्टर कह गया था, कि आज रात भी अम्मा बड़ी मुश्किल से काट पायेगी। उस रात मैं अम्मा के बगल से बिस्तर पर लेटा। घर से सभी लोग जा चुके थे। सिर्फ मैं और अम्मा ही घर में शेष बचे थे। अम्मा बेहोशी की अवस्था में थी, और रूक-रूक कर सांस ले रही थी, मैं उन्हें लाचारी से देख रहा था, ईश्वर से बार-बार प्रार्थना कर रहा था, कि सबकी मदद करते हो, तो मेरी क्यों मदद क्यों नहीं कर रहे हो। अम्मा गहरी-गहरी सांसे भर रहीं थी, मेरे दिल को भी अब यह विश्वास हो चला कि आज हम दोनो लोग अंतिम बार शायद एक साथ लेट रहे हैं। यह ख्याल आते ही मैंने अम्मा का एक हाथ को कसकर अपने हाथों में पकड़ कर अपने सीने पर रख लिया। अममा कुछ भी रियेकट नहीं कर रही थी, वातावरण एकदम खामोश था। मौत सामने खड़ी होकर अम्मा को अपने आगोश में लेने को तैयार थी। रात का 1 बज रहा था। मैं अम्मा का हाथ पकड़ कर अब भी बैठा था। बैठे-बैठे हल्की सी आंख बंद होने लगती, तो मैं फिर से अपनी चेतना को बुलाता, और फिर से अम्मा को सहलाने लगता। रात 2 बजे करीब अम्मा ने यकायक मेरे हाथ में अपने हाथ का कसाब को बढ़ाया, उनके कसाब से मुझे अम्मा की चेतना का आभास हुआ, और खुशी भी। अम्मा ने अपनी आंखें खोल ली थी, वह अब भी रूक-रूक कर सांस ले रही थी, मैंने बिना एक पल गंवाए उन पलों को कैद करने के लिए अपना मोबाइल वीडियो के लिए शुरू कर दिया, और अम्मा की आंखों में अपनी आंखें डालकर उन्हें देखने लगा अम्मा कुछ भी बोल नहीं पा रहीं थीं, उन्होंने मुझे देख कर बोलने के लिए मुंह खोलने की कोशिश की, पर बोल कुछ न सकीं। अपने को असहाय पाकर मेरी साहसी अम्मा के धाराप्रवाह आंसू बह निकले। जिनको मैं पोछता रहा, और उनको देखकर मेरी भी आंखें भर आईं। अम्मा काफी देर तक रोती रही। 20 मिनट बाद अम्मा फिर से अचेतन अवस्था में चलीं गईं। मैं फिर से अम्मा का हाथ पकड़ कर लेट गया। यह रात अम्मा और मेरे लिए अंतिम रात साबित हुई। सुबह
हो चुकी थी।
सुबह होते-होते अम्मा की चेतना एक बार फिर वापिस आई, इस 15-20 मिनट के समय में मैंने अपनी प्यारी-दुलारी अम्मा को जरा सा पानी पिलाया, और उनके साथ जीवन की अंतिम चाय भी पी, उनके लिए मैं एक कप चाय बना कर लाया, जिसमें से 1-2 चम्मच मैंने अम्मा को चाय पिलाई, जिसे अम्मा ने मेरे हाथों से अंतिम बार पिया। अब तक 11 बजकर 30 मिनट हो गये थे।
एकाएक अम्मा की आक्सीजन लेबिल तेजी से कम होने लगा। लेबिल बढ़ाने के बाद भी कोई फायदा नहीं हो रहा था। मैं अम्मा की चेतन्यता बुलाने के लिए अम्मा को समय-समय पर आवाजें दें रहा था, पर इस बार अम्मा मुझे देख तो रही थी, पर अंतिम विदाई के लिए।
लगभग 12 बजकर 10 मिनट पर उन्होंने एक बार मुंह को खोला, और सांस लेना बंद कर दिया। उसके बाद फिर एक बार, और उसके बाद अंतिम बार मुंह को खोला, और वह हमेशा-हमेशा के लिए शांत हो गई।
मैं उनकी इस दशा पर काफी मन ही मन विलाप कर रहा था, मन ही मन इसलिए, क्यों कि आज मुझे ढांढस व दिलासा देने वाली मेरी अपनी अम्मा मेरे साथ नहीं थीं, लिहाजा मन के भाव को मन में ही रखा, शायद पहली बार बाहर नहीं आने दिया।
जब अम्मा को अंतिम बार रूखसत करने का वक्त आया, तो निर्जीव अवस्था में देखकर मन में यहीं विचार आया, कि यह कैसा संसार है, जहां इतने सालों रहने के बाद किसी व्यक्ति से हमेशा-हमेशा के लिए विदा लेना पड़ता है। एक ऐसा समर्पित व्यक्ति जो घर के सभी कार्य में अपना सहयोग प्रदान करता हो, वह एकाएक कैसे साथ छोड़ सकता है। पर यह सब यथार्थ सत्य है, जिसे हमें स्वीकार करना पड़ेगा।
मेरे घर की धुरी, एक कर्मठ मां, एक समर्पित व्यक्ति, मेरा सबसे बड़ा सहारा, मेरे घर की रौनक, मेरे घर की सहारा, मेरी नित नई उम्मीद, मेरी प्यारी-दुलारी मां/अम्मा मुझे इस भरी दुनिया में अकेला छोड़कर जा चुकीं थीं।
आज अम्मा मेरे साथ नहीं है, पर उनके आदर्श और दिखाये गये मार्ग मेरे बाकी का बचा शेष जीवन जीने की राह को तय करेंगें। और जब तक मैं जीवित हूं, मेरी अम्मा मेरे अंदर सदा जीवित रहेंगी।
समाप्त।
my mother story
I am sending forward the part of what you have read so far in Amma's Story.
Amma stopped speaking to me at all till May 23. The mother without whom I did not take any step, it seemed strange to do any work without them. But time also gets everything done, and teaches. I used to ask Amma for my satisfaction now, but Amma was very upset due to not getting any answer.
By May 25, 2020, Amma's treatment did not make any difference, but added another new problem, now that Amma had increased so much in the cratinine kidney that her toilet had stopped. Which made Amma's situation very serious. Chances of survival became very low.
During the treatment on the morning of 26 May 2020, the doctor said that now he cannot do anything. Now it remains to be admitted to the hospital. But due to Karona, it was not possible for a modest person like me. I cannot put words into the words that I was considering myself. I had no choice but to deliver the situation to Amma.
Finally, that ill-fated night of 26 May 2020 also came. The doctor had said that even tonight, Amma will be able to cut very hard. That night I lay in bed next to Amma. Everyone had left the house. Only me and Amma were left in the house. Amma was in a state of unconsciousness, and was intermittently breathing, I was watching her helplessly, praying to God again and again to help everyone, so why not helping me . Amma was breathing deeply, my heart also now believed that today, we are both lying together for the last time. As soon as this thought came, I held one hand of Amma tightly in my hands and placed it on my chest. Amma was not doing anything real, the atmosphere was silent. Death was ready to take Amma in front of her. It was 1 o'clock in the night. I was still sitting holding Amma's hand. I used to call my consciousness once again when I sat down and sat down, and started caressing Amma again. Around 2 pm, Amma suddenly raised Kasab of my hand in my hand, his Kasab gave me a feeling of Amma's consciousness, and also happiness. Amma had opened her eyes, she was still breathing intermittently, I started my mobile video capturing those moments without losing a moment, and putting her eyes in Amma's eyes Amma could not speak anything, she tried to open her mouth to see me, but could not speak. Finding myself helpless, my courageous Amma's fluent tears flowed. Those whom I kept wiping, and seeing them filled my eyes too. Amma kept crying for a long time. After 20 minutes Amma went into unconscious state again. I lay down again holding Amma's hand. This night proved to be the last night for Amma and me. It was already morning.
Amma's consciousness returned once again in the morning, in this 15-20 time, I gave my beloved Dulari Amma a little water, and also drank the last tea of her life, I made a cup of tea for her, Out of which I gave tea to Amma, which Amma drank for the last time with my hands. It was 11:30 by now.
Suddenly, Amma's oxygen label began to decrease rapidly. Even after increasing the label, there was no benefit. I used to give voices to Amma from time to time to call Amma's consciousness, but this time Amma was watching me, but for a final farewell. He opened the mouth once, at around 12:10, and stopped breathing. Then once again, and then for the final time, she opened her mouth, and she calmed down forever.
I was mourning a lot on this state of mind, because in my mind, because today my own mother Amma was not with me to give me the comfort and comfort, so I kept the mind in mind, maybe out for the first time Did not allow
When the time came for Amma to settle down for the last time, after seeing her in a lifeless state, this thought came to her mind, what is this world where after living so many years, one has to take leave from someone forever. How can such a dedicated person who gives his support in all the work of the house, suddenly leave together. But all this is a real truth, which we have to accept.
My home's pivot, a diligent mother, a devoted person, my biggest support, my home's beauty, my home's support, my new hope, my loving mother / Amma had left me alone in this stuffy world .
Today Amma is not with me, but her ideals and the path shown will decide the rest of my life. And as long as I am alive, my mother will live forever in me.
End.
 My Mother Picture.
No comments:
Post a Comment