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Sunday, July 10, 2022

तमाशबीन

#तमाशबीन
      आज श्रीलंका के हालात बद से बदतर स्थिति में पहुंच चुके है, पूरा विश्व श्रीलंका की हालात पर नजर जमाये बैठा है। भूख सत्ता पर भारी पड़ने लगी है, बेबसी का आलम ये है, कि लोग अपना काम-धंधा छोड़ सरकार से सवाल करने पहुंच गये है, और सरकार के पास इतने सारे लोगों के लिए कोई समुचित जबाव भी नहीं है, यहीं कारण है कि सत्तारूढ़ अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे है।
       यह सब क्यों हुआ, प्रश्न यह नहीं है, यह कब तक चलता रहेगा ? प्रश्न यहां है।
      अमेरिका व उनके धनी मित्र देश रुस से युद्ध करने के लिए यूक्रेन पर अरबों-खरबों का खर्चा करने को तैयार व तत्पर है, व कर भी रहे है, सिर्फ इसलिए कि यूक्रेन में युद्ध की वजह से जो मौतें हो रही है, उसे रोका जा सकें।  मैं पूछना चाहता हूं कि क्या भूख से हुई मौतों का कोई अर्थ नहीं ?
       निसंदेह भूख व युद्ध विभीषिका में मरे लोगों की गिनती सिर्फ मौत में ही की जायेगी, क्योंकि मौत एक बार ही होती है, फिर चाहे वो युद्ध विभीषिका से हो, या भूख से। 
        सारे परिदृश्य को मद्देनजर रखते हुये यह तो समझ आता है, कि समस्या गम्भीर है, पर इतनी भी नहीं, कि अमेरिका व मित्र देश सिर्फ तमाशबीन बने रहकर देखते रहे। इसे विडंबना नहीं कहेगे, तो क्या कहेंगे, कि सभी देश तमाशबीन बनें है, पर मदद को आगे नहीं आ रहे।
       रूस यूक्रेन युद्ध में दिन रात अमेरिका व अन्य देश बैठक पर बैठक करते रहते है, और पूरे विश्व को मानवता का पाठ पढ़ाते दिखाई देते है, पर क्या अभी तक श्रीलंका के लिए कोई आपातकालीन बैठक अमेरिका व अन्य देशों ने बुलाई है ? शायद बुलायेंगे भी नहीं, कयोंकि जहां इन मुल्कों को कोई फायदा नजर नहीं आता, वहां ये सिर्फ तमाशबीन की चादर ओढ़ लेते है।  श्रीलंका बहुत बड़ा देश होता, तो अमेरिका सहित समस्त देशों की मजबूरी समझ में भी आती, पर ऐसा भी नहीं है।  श्रीलंका जैसे देश को यदि ये सभी देश यूक्रेन में हो रही मदद का कुछ प्रतिशत भी खर्च कर दें, तो यह देश फिर से सांस लेकर पटरी पर दौड़ने लगेगा।
       श्रीलंका भारत का पड़ौसी देश है, निसंदेह भारत भी मंहगाई के विषम दौर से गुजर रहा है, किन्तु भारत को श्रीलंका की मदद करना आर्थिक व कूटनीति की दृष्टि से इसलिए भी जरूरी है, कि यदि श्रीलंका के हालात ज्यादा खराब हो गये, तो ऐसी परिस्थिति में वहां के नागरिक सर्वप्रथम भारत की ओर समुंद्र मार्ग से बड़ी तादाद में रूख कर सकते है, जो भारत के लिए एक परेशानी का सबव भी बन सकता है।  
      भारत का मदद का दायरा चाहे छोटा हो, पर क्षमता से बाहर न हो, इसका भी ध्यान भारत को अवश्य रखा जाना चाहिए।  
        इसके अलावा भारत विश्व पटल पर श्रीलंका के लिए सहायता की अपील भी कर सकता है, जिससे भारत की पहल को देखकर तमाशबीन बने अमेरिका सहित अन्य धनी देशों की भी आंखें अवश्य खुलेगीं, और भारत की इस प्राथमिकता को एक समय पूरा विश्व सलाम करेगा। साथ ही भारत सचमुच विश्व गुरु बनने के लिए कदम बढ़ा सकेगा।
                         #संदीप
#spectacled

       Today the situation in Sri Lanka has gone from bad to worse, the whole world is watching the situation in Sri Lanka.  Hunger is starting to overwhelm the power, the state of helplessness is such that people have left their business and reached to question the government, and the government does not even have a proper answer for so many people, this is the reason why the ruling  Running here and there to save his life.
        Why all this happened, the question is not, when will this continue?  Here is the question.
       America and their rich allies are ready and ready to spend billions and trillions on Ukraine to go to war with Russia, and they are doing it, only because the deaths due to war in Ukraine can be stopped.  Can you  I want to ask whether there is no meaning of starvation deaths?
        Undoubtedly, those killed in hunger and war terror will be counted only in death, because death happens only once, whether it is from war terror or hunger.
         Keeping the whole scenario in view, it is understandable that the problem is serious, but not so much that America and the Allies just kept watching by being spectators.  If you would not call it irony, then what would you say, that all the countries have become spectators, but are not coming forward to help.
        In Russia Ukraine war, America and other countries keep meeting day and night, and are seen teaching the lesson of humanity to the whole world, but have America and other countries called any emergency meeting for Sri Lanka so far?  Perhaps they will not even call, because where these countries do not see any benefit, there they only cover the sheet of spectacle.  If Sri Lanka was a very big country, then the compulsion of all the countries including America would have been understood, but it is not so.  If all these countries spend even some percentage of the help being given in Ukraine to a country like Sri Lanka, then this country will start running on the track with breath again.
         Sri Lanka is a neighboring country of India, of course, India is also going through an odd phase of inflation, but it is also necessary from the point of view of economic and diplomacy to help Sri Lanka to India, that if the situation of Sri Lanka gets worse, then such a situation  First of all, the citizens there can move towards India by sea route in large numbers, which can also become a problem for India.
 India's helpline may be small, but it should not be beyond its capacity, it should also be kept in mind by India.
 Apart from this, India can also appeal for assistance for Sri Lanka on the world stage, which will definitely open the eyes of other rich countries including America, who have become a spectator after seeing India's initiative, and the whole world will salute this priority of India at one time.  At the same time, India will be able to take steps to become a true world guru.
 

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