#saheb
The old four lines are--
I didn't tell a lie, my love is a lie.
Frogs sell paan at Badnagar station.
Our Saheb ji also has stories on these lines. Whenever you listen to their stories, never use your mind. In the coming years, instead of jokes on Akbar-Birbal, children will be enthralled by their stories in the school syllabus.
Even though Saheb is the fourth fail, but he does marketing well. Now see, even before laying the foundation stone of Badnagar station, he sold tea there? To whom did you sell now? who drank This has become an inexplicable puzzle with "Akkad Bakkad".
ED, CID, IT have not done as much work since independence as they have to do now. Reason, Saheb has to work for 18-18 hours. That sir gets sleep after 18 hours. Otherwise, they should keep the bands of all the three departments playing. It is the magnanimity of the sir that he is running the shops of these departments, otherwise even the little ones would have suffered. Now Kumbhkaran also used to sleep, that's why Saheb also sleeps. Imagine, if this Saheb starts waking up even in the remaining four hours, then how far will this country be considered? The soul trembles just thinking about it. You are also thinking absolutely right.
Andher Nagri, Chaupat Raja, Taka Ser Bhaji, Taka Ser Khaja.
हिन्दी रुपांतरण
#साहेब
पुरानी चार लाइनें है--
झूठ तो हम बोले नाहीं, झूठ मेरी आन।
बड़नगर के स्टेशन पर, मेंढ़क बेचे पान।
कुछ इसी तर्ज के किस्से कहानियां हमारे साहेब जी के भी है। इनके किस्से-कहानियां जब भी सुने, तो अपने दिमाग का इस्तेमाल कदापि न करें। आने वाले वर्षों में स्कूली पाठ्यक्रम में बच्चे अकबर-बीरबल के चुटकुलों के स्थान पर इन्हीं के किस्सों से रोमांचित हुआ करेंगे।
भले ही साहेब चौथी फेल है, पर मार्केटिंग अच्छी कर लेते है। अब देखो न, बड़नगर स्टेशन की आधारशिला रखने से पूर्व ही उन्होंने वहां चाय बेच दी ? अब किसको बेची ? किसने पी ? ये तो "अक्कड़ बक्कड़" वाली अबूझ पहेली हो गई।
ED, CID, IT ने आजादी के बाद से, अब तक इतना काम नहीं किया, जितना अब करना पड़ रहा है। कारण, साहेब का 18-18 घंटे काम करना। वो तो साहेब को 18 घंटे बाद नींद आ जाती है। अन्यथा वो तीनों डिपार्टमेंट की बैंड ही बजा कर रख दें। ये तो साहेब की दरियादिली है कि वो इन डिपार्टमेंट की दुकानदारी चला रहे है, अन्यथा बोहनी तक के भी लाले पड़ जाते। अब कुंभकरण भी सोता था, इसलिए साहेब भी सो जाते है। कल्पना कीजिए, यदि ये बचे हुए चार घंटे में भी साहेब जागने लगे, तो इस देश को कहां तक पहुंचा कर मानेगें ? सोच कर ही रूह कांप जाती है। आप भी बिल्कुल ठीक सोच रहे है। 😀
अंधेर नगरी, चौपट राजा, टका सेर भाजी, टका सेर खाजा । 😀😀😃
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