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Wednesday, August 2, 2023

political parties ( राजनैतिक पार्टियां )


Politics is done only to get power, and political parties have been using it from time to time, which is not wrong either.  But when a political party comes in a situation of compromising on passing through a pile of dead bodies to reach the corridor of power, then the people of that country should become aware of that party.

 Here we are talking about the Bharatiya Janata Party.  For some time, there is some strange uneasiness in the BJP camp regarding the 2024 elections.  The public has not even given its verdict yet, but from now on, it is taking each step with negative thinking.

 The history of RSS and BJP has been that of a communal party group.  Be it the case of the assassination of Mahatma Gandhi, or the demolition of the Babri Masjid, this Jansangh and the party have been doing the work of disturbing the harmony of the entire country, by spreading communalism, by performing violent demonstrations from time to time.

        After being in power continuously since 2014, whether it has done good to the general public or not, but it has done a lot of good to itself and its supporters.  The proof of this is their gleaming five-star party office and unprecedented increase in party funding.  This is the reason, that today BJP is the richest party in the country.

 If there is an alliance of power and money, even difficult situations can be made easy.  And for some time, BJP seems to be doing all this for character.

 When all the weapons with the BJP are over, then it comes to its old system i.e. how there should be violence between two communities.  Now that the BJP felt that it could suffer that defeat in 2024, it unleashed the full power of its double engine government to burn Manipur.  What happened there for three months, the people of the country were not even allowed to breathe.

 It is not a small matter that the entire state was burning for three months, and the people of the country were unaware.  Think about it, if tomorrow your state is burning in such a fire, and even after living in India, you are not able to send your message to other states of India.  Such arrangements were made.  From this, their vicious motive can be easily guessed.

 See their cleverness, before the public could understand anything, they threw Haryana into the fire of communalism of two communities.  It is auspicious that the people killed in the train by the RPF constable's bullet did not incite violence, otherwise it could have created a boom.  That is, overall, how to reach power by sitting on a pile of dead bodies, this is the real aim of BJP.
     Looking at all the circumstances, now all the countrymen, rising above religion and religion, need to think whether our country is safe in the hands of communal parties like BJP?  Do we want to live in a beautiful democratic country, or want to follow in the footsteps of burning countries like Syria?
 This decision is not taken by any party, but we and you will have to take it soon.


हिन्दी रुपांतरण

राजनीति सत्ता पाने के लिए ही की जाती है, और उसका उपयोग समय-समय पर राजनैतिक पार्टियां उठाती आई है, जो गलत भी नहीं है।  परन्तु जब कोई राजनैतिक पार्टी,  सत्ता के गलियारे तक पहुंचने के लिए लाशों के ढेर से होकर निकलने का समझौता करने की परिस्थिति में आ जाये, तो उस देश की जनता को उस पार्टी के प्रति सचेत हो जाना चाहिए । 

        यहां बात भारतीय जनता पार्टी की हो रही है।  बीते कुछ समय से बीजेपी खेमे में 2024 के चुनावों को लेकर कुछ अजीब सी बेचैनी सी दिखाई पड़ रही है।  जनता ने तो अभी फैसला सुनाया भी नहीं है, परन्तु वह अभी से नकारात्मक सोच के साथ अपना एक-एक कदम बढ़ा रही है। 

        RSS व बीजेपी का इतिहास सांप्रदायिक पार्टी वाले समूह का रहा है।  ये चाहे  महात्मा गांधी की हत्या का मामला हो, या बाबरी मस्जिद विध्वंस का मामला हो, यह जनसंघ व पार्टी समय-समय पर हिंसक प्रदर्शन कर, सांप्रदायिकता फैलाकर, पूरे देश के सौहार्द को बिगाड़ने का काम करते रहे है। 

        2014 से लगातार सत्ता में रहने के बाद बीजेपी ने,  चाहे आम जनमानस का भला किया हो या न किया हो,  पर अपना व अपने समर्थकों का खूब भला किया है।  इसका प्रमाण इनके चमचमाते पांच सितारा पार्टी दफ्तर व पार्टी फंडिंग में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी है।  यहीं कारण है, कि आज बीजेपी देश की सबसे अमीर पार्टी है। 

         यदि सत्ता और पैसे का गठजोड़ हो जाये, तो मुश्किल परिस्थितियों को भी आसान बनाया जा सकता है। और पिछले कुछ समय से बीजेपी यही सब कुछ चरित्रार्थ करती नजर आ रही है।  

           बीजेपी के पास जब सारे अस्त्र खत्म हो जाते है, तो वह अपनी पुरानी व्यवस्था यानी दो समुदायों में कैसे हिंसा हो,  पर आ जाती है।  अब जब बीजेपी को लगा कि वह 2024 में वह शिकस्त खा सकती है, तो मणिपुर को जलाने के लिए उसने अपनी डबल इंजन की सरकार की पूरी शक्ति झोंक दी।   वहां तीन महीने तक क्या होता रहा,  देश की जनता को हवा तक नहीं लगने दी।  

      यह कोई छोटी मोटी बात नहीं है, कि तीन महीने से पूरा प्रदेश जल रहा था, और देश की जनता अनभिज्ञ थी।   सोच कर देखिए, कि यदि कल को आपका प्रदेश ऐसी ही आग में जल रहा हो, और आप भारत में रहकर भी अपनी बात भारत के ही दूसरे प्रदेशों तक भी न भेज पाये।  ऐसी ही व्यवस्था बना दी थी ।  इसी से इनके शातिर मकसद का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। 

      इनकी चतुराई देखिए, इससे पहले कि जनता कुछ समझ पाती,  इन्होंने हरियाणा को भी दो समुदाय की सांप्रदायिकता की आग में झोंक दिया।   वो तो भला हो कि RPF कांस्टेबल की गोली से ट्रेन में मारे गये लोगों से हिंसा नहीं भड़की, अन्यथा उससे भी उफान आ सकता था।   यानी कुल मिलाकर लाशों के ढेर पर बैठकर सत्ता तक कैसे पहुंचा जाये,  यहीं बीजेपी का असली मकसद है। 

        सारी परिस्थितियों को देखते हुए अब सभी देशवासियों को,  धर्म व मज़हब से ऊपर उठकर यह सोचने की जरूरत है, क्या हमारा देश बीजेपी जैसी सांप्रदायिक पार्टियों  के हाथों में सुरक्षित है ?  क्या हम लोकतांत्रिक जैसे खूबसूरत देश में रहना चाहते है,  या सीरिया जैसे दहकतें हुए देशों के नक्शे कदम पर आगे चलना चाहते है ?  
         यह फैसला किसी पार्टी को नहीं, अपितु हमें और आपको जल्द लेना होगा।
        जय हिन्द, जय भारत।



       

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