The recent upheaval seen by the Modi government in Madhya Pradesh, and the way the Modi-Shah duo has taken strange decisions, one thing has become clear that the decision of the executive committee in BJP is just a show off. In reality, only Modi-Shah take the final decision. No other party member has any status or status left. All the people are now forced to serve as pawns of Modi-Shah.
The reason is also clear, that as per the strategy of Modi-Shah, in the last nine and a half years, no party member other than themselves was given a chance to shine. Therefore, now all the party members are not only dependent on the mercy of Modi-Shah, but rather, they are forced into slavery.
The way the Modi-Shah duo has sidelined the Chief Minister of Madhya Pradesh and reduced the status of some central and state ministers sitting in Delhi and forced them to contest legislative elections, shows how slavery-loving people Modi-Shah are. Under the guise of party discipline, these two people have monopolized the entire BJP party, and secretly, they have created an army of slaves in place of public representatives.
हिन्दी रुपांतरण
मध्य प्रदेश में हाल ही में मोदी सरकार द्वारा जो उलटफेर देखने को मिला, और जिस तरह मोदी-शाह की जोड़ी ने अजीबो-गरीब फैसले लिये है, उससे एक बात तो स्पष्ट हो गई है, कि बीजेपी में कार्यकारिणी समिति का फैसला महज दिखावा है, हकीकत में अंतिम फैसला मोदी-शाह ही लेते है। किसी अन्य पार्टी सदस्य की अब अपनी कोई औकात व हैसियत नहीं बची है। सारे के सारे लोग अब मोदी-शाह के प्यादे बनकर जी-हजूरी करने को बाध्य हो गये है।
कारण भी स्पष्ट है, कि मोदी-शाह ने रणनीति के तहत पिछले साढ़े नौ वर्षों में अपने अलावा किसी पार्टी सदस्य को चेहरा चमकने का मौका ही नहीं दिया। इसलिए अब सभी पार्टी सदस्य न केवल मोदी-शाह के रहमो-करम पर आश्रित है, बल्कि यों कहें, कि गुलामी करने को विवश है।
मोदी-शाह की जोड़ी ने जिस तरह से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को दरकिनार कर, दिल्ली में बैठे कुछ केंद्रीय व राज्य मंत्रियों की औकात घटाकर विधायकी के चुनाव लड़ने को बाध्य किया है, वह यह दर्शाता है कि मोदी-शाह कितने गुलामी पसंद व्यक्ति है। यह दोनों लोग पार्टी अनुशासन की आड़ लेकर समूची बीजेपी पार्टी पर अपना एकाधिकार जमा चुके है, और चुपके-चुपके ही सही, उन्होंने जनप्रतिनिधियों के स्थान पर, गुलामों की फौज खड़ी कर दी है।
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