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Wednesday, September 20, 2023

Women's Reservation Bill. (महिला आरक्षण बिल)


#Women's Reservation Bill
      Women's reservation bill in Parliament is gaining a lot of headlines these days.  This bill was passed in the Rajya Sabha in 2010, but remained stuck in the Lok Sabha due to many issues.  Look at the amazing thing, that even today those issues remain the same, but Prime Minister Modi wants to pat himself on the back among the public by getting only half-baked work done to get applause.

          Even after completion of 76 years of independence, in a huge country like India, women still do not get the respect that they always deserved.  The number of women who made their presence felt in politics remained very small.  Not to mention the number of women coming from lower class, it is good.

        Women of India are still considered limited to the kitchen, but I believe that if women's participation in politics increases in this country, then unprecedented results will be achieved in the development of the country, and the country will reach new heights.  Will achieve.
    
        Another important thing is coming out that if a woman holds an important position, will she be able to complete any work without the interference of her family?  Will not the dominance of any man from that woman's family indirectly continue?  Yes, this dilemma may arise, but women will have to find a solution to this dilemma, whenever they get responsibility, they will have to become self-reliant by taking decisions on their own without family interference.  She has to convince her family that she can do any job as well or better than men without any interference, all she needs is a chance to do it.

        I say that there should be 50 percent reservation for women in Parliament instead of 33 percent, so that women can get a golden opportunity to be equal.  If this can happen in the future, then the thinking and attitude towards women in India will be able to get a new direction.
     
       Now this issue has gone on, so even after passing the bill, this government has kept it in “pending” till the year 2029.  But it is our wish that any incoming government should bring it to its full conclusion as soon as possible.

हिन्दी रुपांतरण

#महिला आरक्षण बिल
     संसद में महिलाओं के आरक्षण का बिल, इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रहा है। 2010 में राज्य सभा में यह बिल पास तो हो गया, पर लोकसभा में कई मुद्दों के कारण यह अटक कर रह गया। कमाल की बात देखिये, कि वे मुद्दे आज भी तस के तस बने हुए है, पर प्रधानमंत्री मोदी वाहवाही लूटने के कारण आधा-अधूरा ही कार्य कराकर जनता में अपनी पीठ थपथपाना चाहते है। 

         आजादी के 76 वर्ष पूरे होने के बाद भी भारत जैसे विशाल देश में आज भी महिलाओं को वो सम्मान नहीं मिल सका, जिसकी वह हमेशा हकदार थी। जिन महिलाओं ने राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज भी कराई, उनकी संख्या बेहद कम ही रही। निचले तबके से आने वाली महिलाओं की संख्या की तो बात ही न करें, तो अच्छा है। 

       भारत देश की महिलाओं को आज भी चूल्हा-चौका तक ही सीमित माना जाता है, पर मेरा मानना है कि यदि महिलाओं की भागीदारी राजनीति में इस देश में यदि बढ़ती है, तो देश के विकास में अभूतपूर्व परिणाम निकलेगें, व देश एक नई ऊंचाइयों को हासिल करेगा। 
    
       एक महत्वपूर्ण बात और निकल कर सामने आ रही है, कि यदि कोई महिला किसी महत्वपूर्ण पद पर आसीन होगी, तो क्या वो अपने परिवार की बिना दखलंदाजी के किसी काम को अंजाम दे सकेगी ? क्या अप्रत्यक्ष रूप से उस महिला परिवार के किसी पुरुष का दबदबा नहीं बना रहेगा ? हां यह दुविधा आ सकती है, परन्तु इस दुविधा का तोड़ भी महिलाओं को ही निकालना होगा, जब भी उन्हें जिम्मेदारी मिले, तो बिना परिवारी हस्तक्षेप के स्वयं निर्णय लेकर आत्मनिर्भर बनना होगा। उन्हें अपने परिवार को यह आश्वस्त करना होगा, कि वो बिना किसी दखलंदाजी के, पुरुषों के बराबर या उनसे बेहतर, किसी भी कार्य को अंजाम दे सकती है, बस उन्हें इस सबके लिए एक मौका चाहिए। 

       मैं तो कहता हूं, कि संसद में महिलाओं का 33 प्रतिशत के स्थान पर 50 प्रतिशत का आरक्षण होना चाहिए, जिससे महिलाओं को बराबरी का आने का एक सुनहरा मौका मिल सकें। भविष्य में यदि ऐसा हो सका, तो भारत में स्त्रियों के प्रति सोच व नजरिए को एक नई दिशा मिल सकेगी।  
     
      अब ये मुद्दा चल ही गया है, तो इस सरकार ने बिल पास होने के बाद भी वर्ष 2029 तक "ल़ंबित रुप" में रखा है। परन्तु आने वाली कोई सी भी सरकार इसे जल्द से जल्द अपने पूर्ण अंजाम तक पहुंचाये, यही कामना है।

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