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Tuesday, December 19, 2023

निलंबन

 संसद से एक साथ 92 सांसदों का निष्कासन बताता है, कि मोदी अब हठधर्मिता पर उतर आये है।  


     सांसद का संसद से निलंबन सामान्य प्रक्रिया नहीं समझा जाना चाहिए, सांसद के निलंबन का अर्थ है, कि उस क्षेत्र की जनता के प्रतिनिधि की आवाज को जबरदस्ती दबा दिया गया।  सांसद एक व्यक्ति ही नहीं होता, वरन उस क्षेत्र के हर नागरिक की आवाज होता है।  मोदी के इशारे पर बार-बार सांसदों को पूरे-पूरे सत्र के लिए निलंबन करना, यानी उस क्षेत्र की जनता को एक प्रकार से निलंबन करना ही होता है।  


      समय का तकादा हो चला है, कि सांसद को निलंबन करने पर अब उस क्षेत्र की जनता को भी सड़कों पर उतरना होगा, और सरकार के इस अड़ियल रवैये पर देश के तमाम क्षेत्रों में अपना विरोध जताना होगा, और बताना होगा, कि आपने सिर्फ एक व्यक्ति की आवाज नहीं दबाई है, अपितु हमें भी गूंगा कर दिया है।  जिस क्षेत्र का सांसद निलंबित हो, और उस क्षेत्र की जनता चुपचाप तमाशा देखती रहेगी, तो मोदी जैसे हिटलरशाही प्रधानमंत्री अपनी मनमानी करते रहेगें।

हिटलरशाही प्रधानमंत्री को बताये, कि हमारे जनप्रतिनिधि को यदि निलंबित करोगें, तो हम सभी उनके सुर में सुर मिलाकर एकजुट खड़े होगें।  इस तरह हमारे जनप्रतिनिधि की आवाज दबाकर दबंगई से हमारी आवाज खत्म नहीं कर सकते।  हम भी उनके साथ है।

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